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’15-15 घंटे कर रहे काम, 10 दिन से घर नहीं गए’

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नई दिल्ली
एक तरफ अस्पतालों में डॉक्टर्स कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ सड़कों पर पुलिस के जवान यह सुनिश्चित करने में लगे हुए है कि लोग लॉकडाउन को गंभीरता से लें। इसके साथ ही वे बेसहारा लोगों तक खाना पहुंचाने, लोगों की चेकिंग करने, पलायन रोकने और कोरोना के संदिग्धों पर निगरानी रखने का काम भी कर रहे हैं। ड्यूटी के साथ उनके मन में भी कोरोना का खौफ जरूर है। उनके परिवार भी फिक्रमंद हैं। पुलिसवाले 15 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं। पिछले 10 दिनों से वे घर नहीं गए हैं।

घरवाले भी चिंतित
पुलिसवालों को एक तरफ जहां कोरोना के संक्रमण की चिंता सता रही है, तो दूसरी तरफ दूरदराज के इलाकों या एनसीआर से आने वाले पुलिसवालों को एक अलग तरह की परेशानी झेलनी पड़ रही है। बस और ट्रेन सेवाओं के बंद होने से ऐसे पुलिसवालों को ड्यूटी पर आने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में परेशानी से बचने लिए कोई पुलिसवाला 10 दिन से अपने घर नहीं जा रहा है, तो किसी ने छुट्टी के लिए आवेदन दे रखा है, तो किसी को उनके परिवार के सदस्य लेने और छोड़ने आ रहे हैं। सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में तैनात एक पुलिसकर्मी ने बताया कि वह हरियाणा के रहने वाले हैं। पहले ट्रेन से ड्यूटी पर आ जाते थे और ड्यूटी के बाद ट्रेन पकड़कर घर चले जाते थे, लेकिन अब 10 दिनों से वह घर नहीं जा पाए हैं। उन्हें थाने की बैरक में ही रहना पड़ रहा है।

रोज स्क्रीनिंग की मांग
ईस्ट दिल्ली में तैनात एक पुलिसकर्मी ने बताया कि उन्हें एक-दो घंटे के लिए ही घर जाने का मौका मिल पा रहा है। परिवार को बचाने के लिए घर के अंदर नहीं जाते, बल्कि बाहर ही कुर्सी लगाकर बैठ जाते हैं। वहीं पर खाना खाकर लौट आते हैं। उनका कहना था कि हम लोग दिनभर फील्ड में रहते हैं और तमाम तरह के लोगों से मिलते-जुलते हैं। पता नहीं ऐसे में कब किसकी वजह से हम संक्रमित हो जाएं और हमारी वजह से फिर हमारे परिवार वाले भी उसकी चपेट में आ जाएं। सेंट्रल रेंज के एक पुलिसकर्मी ने बताया कि ड्यूटी से घर जाने के बाद वह आजकल अपने कपड़े खुद ही धोते हैं। कुछ पुलिसकर्मियों को इस बात भी शिकायत थी कि इतने कठिन समय में ड्यूटी पर तैनात रहने के बावजूद डिपार्टमेंट उनकी सेहत का ख्याल नहीं रख रहा और उनके रेगुलर चेकअप की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। उनकी मांग थी कि उनकी भी रोज स्क्रीनिंग होनी चाहिए। अच्छे मास्क, सैनिटाइजर और ग्लव्ज मुहैया कराने का सुझाव भी कुछ पुलिसकर्मियों ने दिया है।

घर के अंदर नहीं घुसते
द्वारका के कुछ पुलिसवालों ने बताया कि आजकल उन्हें 12 से 15 घंटे की ड्यूटी देनी पड़ रही है। भीड़ को काबू में करने, पलायन रोकने, उनके खाने-पीने का इंतजाम करने और हर गाड़ी को चेक करने जैसे काम उन्हें करने पड़ रहे हैं। इसके चलते वे घर जाने से बच रहे हैं। इन दिनों द्वारका के थानों में बने पुलिस के बैरक में रहने वाले पुलिसवाले की संख्या भी बढ़ गई है। बैरक में रहने की सुविधा नहीं मिल रही है और उन्हें घर जाना ही पड़ रहा है। कई पुलिसकर्मी ऐसे हैं, जो घर में भी खुद को किसी एक कमरे तक सीमित करके रख रहे हैं। इसके लिए पिकेट ड्यूटी पर तैनात पुलिसवाले दूसरों से बात करते वक्त दूरी बनारक रखने का खास ख्याल रख रहे हैं। सबसे ज्यादा तनाव में वे पुलिसवाले हैं, जो दिल्ली बॉर्डर पर ड्यूटी में तैनात हैं। उन्हें डर है कि कहीं इस दौरान वे किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में न आ गए हों, जो संक्रमित हो।

एनसीआर में रहने वाले पुलिसकर्मियों को अलग परेशानी झेलनी पड़ रही है। 3 पुलिसकर्मियों ने बताया कि जिनके पास अपनी गाड़ी है, वे आई कार्ड दिखाकर आ रहे हैं। जिनके पास गाड़ी नहीं है, उन्होंने अब लंबी छुट्टी ले ली है। शुरूआत में कुछ दिनों तक तो इन लोगों ने नॉनस्टॉप काम किया, लेकिन ऐसे कब तक चलता। ये तीनों यूपी के मेरठ, मोदी नगर और गाजियाबाद के रहने वाले हैं। साउथ दिल्ली में तैनात एक सिपाही ने बताया कि उसने तो अपने घर आना-जाना ही छोड़ दिया है और थाने में रहकर ही काम कर रहा है, क्योंकि वह पलवल का रहने वाला है। उनका कहना है कि जब हालात सामान्य हो जाएंगे, तो कुछ दिनों की छुट्टी ले लूंगा और अपने बीवी-बच्चों के साथ समय बिता लूंगा।

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