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वैवाहिक दुष्कर्म: दूसरे भरोसेमंद रिश्तों से कैसे अलग है पति-पत्नी का विश्वास से जुड़ा रिश्ता? HC ने न्याय मित्र से पूछा

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नई दिल्ली

उच्च न्यायालय ने बुधवार को न्याय मित्र से जानना चाहा कि कैसे पति और पत्नी के बीच एक भरोसेमंद रिश्ता दो पक्षों के बीच विश्वास से जुड़े किसी भी अन्य रिश्ते से अलग है, जहां एक व्यक्ति दुष्कर्म के आरोपों का सामना करता है। न्यायालय ने कहा कि आईपीसी की धारा 375 के अपवाद को खत्म करने के लिए एक गुणात्मक फैसला लेने के लिए कोर्ट को इस निष्कर्ष पर पहुंचना होगा कि कैसे संबंधित कृत्य को दुष्कर्म के अपराध की श्रेणी में रखा जाए।

जस्टिस राजीव शकधर और सी. हरि. शंकर पीठ ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान मामले में कानूनी राय देने के लिए नियुक्त न्याय मित्र राजशेखर राव से यह सवाल किया। भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में एक अपवाद का प्रावधान है, जिसके तहत 15 साल से अधिक उम्र की पत्नी के साथ पति द्वारा जबरन बनाए गए यौन संबंधों को दुष्कर्म के अपराध की श्रेणी से बाहर रखा गया है।

इससे पहले, न्याय मित्र व वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने बुधवार को वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग का समर्थन किया। उन्होंने पीठ से आईपीसी की धारा 375 के अपवाद को खत्म करने की वकालत की। राव ने पीठ को बताया कि जहां तक कानून का सवाल है तो एक महिला की स्थिति तब काफी बेहतर होती है, जब उस पर किसी अजनबी द्वारा यौन हमला किया जाता है, लेकिन जब उसका पति उस पर जबरन यौन हमला करता है, तो कानून कहता है कि उस कृत्य को वह दुष्कर्म कहने की हकदार नहीं है।

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