छत्तीसगढ़

मत्स्य पालकों को स्थानीय हेचरियों से मिल रहे रियायती मूल्य पर मत्स्य बीज

Spread the love

रायपुर
मत्स्य पालन वर्तमान में एक लोकप्रिय व्यवसाय के रूप में उभर रहा है और मत्स्य पालकों की आमदनी में भी इजाफा कर रहा है। मत्स्य कृषकों की लगन और मेहनत का ही यह नतीजा है कि छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य बीज उत्पादन के मामले न सिर्फ आत्मनिर्भर हुआ है, बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य को विभिन्न जिलों में मत्स्य कृषकों द्वारा उत्पादित मछली बीज की सप्लाई पड़ोसी राज्यों में भी होने लगी है।

दुर्ग जिले में मत्स्य बीज उत्पादन के लिए स्थापित 10 हेचरियों से मत्स्य कृषकों को सस्ते दरों पर मछली  बीज प्राप्त हो होने लगे हैं। कृषक इन हेचरियों से मत्स्य बीज क्रय कर बाहरी मार्केट में विक्रय भी करने लगे हैं। मत्स्य विभाग के द्वारा संचालित नवीन योजनाओं बायोफ्लोप फिश फार्मिंग, आरएएस सिस्टम,  नील क्रांति योजना और जिले में निर्मित निजी क्षेत्र के तालाबों से आज जिले में मछली की उत्पादन क्षमता 2800 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 4000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है। दुर्ग जिले से प्रतिदिन 12 मीटरिक टन मछलियां प्रदेश के अन्य जिलों जैसे रायपुर, राजनांदगांव, बेमेतरा, बालोद और कवर्धा व देश के विभिन्न प्रदेश जैसे मध्यप्रदेश, उड़ीसा को सप्लाई की जाने लगी है।

जिले के युवा और किसान आज बड़े स्तर पर मत्स्य पालन का कार्य कर रहे है।शासन की मंशानुरूप गौठानों के अंदर भी मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। जिसके तहत दुर्ग जिले में 18 गौठानों में मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। चंदखुरी का गौठान भी मछली पालन के लिए तैयार हो रहा है। अपेक्षाकृत कम लागत में भी मत्स्य पालन से अधिक आय प्राप्त होती है इसलिए मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मत्स्य विभाग द्वारा विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है। जिले में 102 मछुआ सहकारी समितियां और 56 मछुवा समूह मछली पालन के लिए पंजीकृत है। खनिज मद और विभागीय अभिसरण से मनरेगा के तहत 1000 डबरियों का निर्माणकार्य प्रगति पर है। जिसमें शीघ्र ही मछली पालन का कार्य किया जाएगा।

दुर्ग जिले में मत्स्य बीज उत्पादन के लिए 10 हैचरी में से एक मत्स्य विभाग, एक मत्स्य महासंघ और आठ निजी क्षेत्र द्वारा संचालित है। जिले के मत्स्य पालकों को इन हैचरी के द्वारा सस्ते दरों पर मत्स्य बीज उपलब्ध कराये जा रहे है। हैचरी में एक से डेढ महीने में मत्स्य बीज तैयार हो जाते है। वर्तमान में मत्स्य पालकों को लगभग 250 रुपये प्रति किलो की दर से मत्स्य बीज उपलब्ध हो रहा है। जिले में ग्रामीण तालाबों की संख्या 3165, जलक्षेत्र 4397.244 हेक्टेयर एवं सिंचाई जलाशयों की संख्या 101, जलक्षेत्र 2971.208 हेक्टेयर तथा मनरेगा से निर्मित डबरियों की संख्या 95 है। इसके अलावा विभिन्न योजनाओं के तहत् क्षेत्र में 117 निजी तालाब हैं, जिसका जलक्षेत्र 100 हेक्टेयर हैं, जिसमें मत्स्य पालन का कार्य किया जा रहा है।

वर्तमान में जिले का वार्षिक मत्स्य उत्पादन 30 हजार 700 मीटरिक टन है। जिले में उत्पादित मछलियों की बिक्री लोकल मार्केट के साथ ही पड़ोसी राज्यों में भी होती है। मत्स्य विभाग की उपसंचालक ने बताया कि आर्थिक स्थिति में बदलाव के लिए मत्स्य पालन बहुत ही अच्छा विकल्प है। मत्स्य पालन गतिविधियों को प्रोत्साहन और विस्तार देने के लिए विभाग मत्स्य बीज, नाव, जाल व मछली आहार का वितरण मत्स्य पालकों को करता हैं और हितग्राहियों को प्रशिक्षण भी प्रदान कर रहा है।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button
Close