अध्यात्मधर्म ज्योतिष

प्रदोष व्रत है आज, शाम के समय प्रदोष काल में करें पूजा

Spread the love

शनि प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी यानी आज शनिवार को रखा जाएगा. हर माह दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है. आज शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी है और दिन शनिवार होने की वजह से इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं.  इस व्रत में भगवान शिव की प्रदोष मुहूर्त में पूजा का विधान है. इस दिन जो जातक शिव जी के साथ शनि देव की पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. आइए जानते हैं कि साल के पहले प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त और व्रत करने की सही विधि…  

शनि प्रदोष व्रत का महत्व
पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से लम्बी आयु का वरदान मिलता है. हालांकि प्रदोष व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष माना जाता है, लेकिन शनि प्रदोष का व्रत करने वालों को भगवान शिव के साथ ही शनि की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है. इसलिए इस दिन भगवान शिव के साथ ही शनिदेव की पूजा अर्चना भी करनी चाहिए. मान्यता है कि ये व्रत रखने वाले जातकों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 जनवरी यानि आज रात 10 बजकर 19 मिनट पर शुरू हो रही है. इसका समापन अगले दिन 15 जनवरी की देर रात 12 बजकर 57 मिनट पर होगा. उदयातिथि में 15 जनवरी के शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा. 15 जनवरी की शाम 05:46 बजे से लेकर रात 08:28 बजे तक प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं.

शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि
शिव मन्दिरों में शाम के समय प्रदोष काल में शिव मंत्र का जाप करें. शनि प्रदोष के दिन सूर्य उदय होने से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें. गंगा जल से पूजा स्थल को शुद्ध कर लें. बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें. इसके बाद ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें और शिव को जल चढ़ाएं. शनि की आराधना के लिए सरसों के तेल का दिया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं. एक दिया शनिदेव के मंदिर में जलाएं. व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करें.

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button
Close