पुलिस-प्रशासन की मनमानी बनी कालाबाजारी की वजह, डीएम-एसपी को पड़ी फटकार
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भोपाल
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस (Chief Secretary Iqbal Singh Bais) इन दिनों सूबे के सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षक पर बुरी तरह से भड़के हुए हैं. मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की नाराजगी पुलिस-प्रशासन की मनमानी को लेकर है. दरअसल, शहर की सीमाओं पर तैनात पुलिस-प्रशासन की टीमें आवश्यक सामान (Essential Goods ) लेकर आए ट्रकों (Truck) को रोक रहे हैं. जबकि शासन से स्पष्ट निर्देश हैं कि सामान लेकर जा रहे ट्रकों को किसी भी सूरत में न रोका जाए. पुलिस-प्रशासन की इस मनमानी के चलते बाजार (Market) में न केवल सामान की कमी आ गई है, बल्कि अब कालाबाजारी भी शुरू हो गई है.
वहीं, पुलिस प्रशासन की इस मनमानी के बाबत जब प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को खबर लगी, तो वह सूबे के सभी डीएम और एसपी पर भड़क गए. मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने एक बार फिर सभी डीएम-एसपी को सख्त निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने कहा है कि उनके बार-बार निर्देश के बावजूद ट्रकों को सीमा पर रोका जा रहा है. इस दौरान यह भी कहा जा रहा है कि वह आवश्यक वस्तु नहीं है. लिहाजा, सभी को स्पष्ट किया जा रहा है कि किसी भी ट्रक को रोका नहीं जाए. दोहराया जा रहा है कि किसी भी ट्रक को सीमा पर नहीं रोका जाए.
मुख्य सचिव इकबाल सिंह ने पुलिस-प्रशासन को यह भी निर्देश दिए हैं कि मध्य प्रदेश में प्रवेश कर रहे सभी ट्रकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की पहली जिम्मेदारी पुलिस और स्थानीय प्रशासन की है. ट्रकों को रोकने से बाजार में सामान की कमी अब गंभीर रूप ले रही है. मुख्य सचिव ने यह भी स्पष्ट किया है कि लॉक डाउन के दौरान, ट्रकों को आवागमन के लिए किसी पास की आवश्यकता नहीं है. लिहाजा, उनसे किसी तरह के पास की मांग न की जाए. मुख्य सचिव ने मुख्य तौर पर जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ट्रकों के निर्वाध आवाजाही की जिममेदारी दी है.
दूसरे राज्यों से सामान नहीं आने के कारण थोक मार्केट ठप हो रहा था. व्यापारियों ने इस संबंध में सरकार के स्तर पर अपनी बात पहुंचाई. यही कारण था कि सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया और मुख्य सचिव ने सभी कलेक्टर और एसपी को दोबारा निर्देश जारी किए. थोक मार्केट में आवश्यक सामान की पूर्ति नहीं होने की वजह से कालाबाजारी तेज हो गई. थोक मार्केट बढ़ी हुई कीमतों पर फुटकर व्यापारी बेंच रहे हैं. जिसका अंतिम खामियाजा सीधे तौर पर ग्राहकों को भुगतना पड़ रहा है. इस तरह की कई शिकायतें जिला प्रशासन के पास भी पहुंची थी, लेकिन इसका कोई निराकरण नहीं हो पा रहा था.