छत्तीसगढ़

टूटेगी 1400 साल पुरानी परंपरा, नवरात्र में रायपुर के इस मंदिर में नहीं जलेगी ज्योति कलश

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रायपुर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) स्थिति प्राचीन महामाया मंदिर (Mahamaya Temple) के अपने 1400 साल पुराने इतिहास में 25 मार्च से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र ऐसा पहला मौका होगा जब मनोकामना ज्योति कलश नहीं जलाया जाएगा. COVID-19 को लेकर जारी एडवाइजरी के तहत महामाया मंदिर ने चैत्र नवरात्र में एक भी मनोकामना ज्योत नहीं जलाने का निर्णय लिया है.

मंदिर प्रबंधन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कोरोना महामारी के रोकथाम को लेकर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए बुधवार से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र में आजीवन और मनोकामना ज्योति कलश नहीं जलाने का निर्णय लिया गया है. साथ ही मंदिर प्रबंधन ने यह भी जानकारी दी है कि जिन 6000 श्रद्धालुओं ने ज्योति कलश के लिए पंजीयन कराया था उनका नाम शारदीय नवरात्र 2020 में समायोजित किया जाएगा. साथ ही मंदिर प्रबंधन द्वारा श्रद्धालुओं द्वारा चाहे जाने पर पैसे वापस करने की भी व्यवस्था की गई है.

COVID-19 को लेकर जारी दिशा-निर्देश और रायपुर में अघोषित कर्फ्यू लगने पर मंदिर प्रबंधन ने आगामी आदेश तक मंदिर का मुख्य द्वार बंद रखने का निर्णय लिया है. मंदिर प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि चैत्र नवरात्र में केवल 7 राज ज्योति कलश ही प्रज्वलित किया जाएगा. पूरे नवरात्र में मंदिर के पुजारियों के द्वारा ही पूजा-पाठ कर मंदिर समिति के सदस्यों द्वारा सहयोग किया जाएगा.

रायपुर के सबसे प्राचीन मंदिरों में शामिल महामाया मंदिर में चैत्र और शारदीय नवरात्र में बड़े मेले का आयोजन किया जाता था. नवरात्र के पूरे नौ दिनों तक विविध सांस्कृति कार्यक्रमों सहित कई अन्य तरह के आयोजन किए जाते थे. राजधानी स्थित महामाया मंदिर में दर्शन करने प्रदेशभर के कौने-कौने से श्रद्धालु आते थे.

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चाहे चैत्र नवरात्र हो या शारदीय पूरे रायपुर सहित आस-पास के क्षेत्रों में महामाया मंदिर के समय-सारणी का अनुसरण किया जाता है,  चाहे ज्योति कलश स्थापना की बात हो या पंचमी पूजा, अष्टमी हवन या फिर ज्योत विसर्जन की, रायपुर सहित आस-पास के क्षेत्रों में महामाया मंदिर के ही समय-सारणी का पालन किया जाता है.

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