छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ की भाजियों में हैं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की शक्ति

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रायपुर
छत्तीसगढ़ में जितनी भी भाजियां उगती हैं उन सभी में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की शक्ति हैं जैसे बोहाई, गुमी, मथुआ, मुस्केनी, मुनगा, केना, चुनचुनिया, मखना, अमारी, कोचाई, चरौटा, करमता, पोई, लाल, गोंदली, पटवा, तिनपनिया, मुरई, करेला, पालक, चौलाई, गोभी, खेढ़ा, मेथी, लाल चेच, चना, तिवरा, सरसो, बरबट्टी, कांदा, बर्रे, कुरमा, चनौरी, कोईलार, पीपर व सफेद चेच भाजी शामिल हैं। इनके सेवन से आप अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी ले सकते हैं। तो आईये जानते हैं इनमें से कुछ भाजियों के बारे में …

चरोटा भाजी जो अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण करोना और कैंसर जैसी बीमारियों से भी लड?े में सक्षम है। चरोटा भाजी का वैज्ञानिक नाम केशिय टोरा है। चरोटा भाजी का उपयोग हर्बल प्रोडक्ट, चर्म रोग के लिए मलहम, फंगस और वात रोग की दवा बनाने के लिए भी किया जाता है। मलेशिया, ताइवान और चीन चरोटा भाजी और इसके बीज के सबसे बड़े बाजार हैं। ये देश चरोटा भाजी के बीज का इस्तेमाल काफी पाउडर, आइसक्रीम, चाकलेट, ग्रीन टी समेत साबुन व सौंदर्य प्रसाधन बनाने में भी करते है। इसी प्रकार पोई भाजी का वैज्ञानिक नाम है बैसेलेसी। आश्चर्य होगा की किडनी मरीजों के लिए पोई भाजी से निर्मित एक आयुर्वेदिक दवा मौजूद है जो 100 प्रतिशत इस बीमारी का इलाज करने का दावा करती है दवाई का नाम है पुनर्नवा। बकायदा धमतरी में वन विभाग ने इसका कलेक्शन सेंटर बनाया हुआ है जहां से इस दवाई की सप्लाई पूरे देश में की जाती है। इस दवाई की सत्यता का दावा शासकीय आयुर्वेद कॉलेज के प्रोफेसर करते हैं। उनका कहना है कि इस पोई भाजी से निर्मित दवाई से डायलिसिस का खतरा कम हो जाता है। पोई भाजी की दो प्रजातियां होती है एक हरे पत्ते वाली और दूसरी हरे जामुनी पत्ते वाली। इस भाजी की खासियत है कि इसके तने और पत्तियां दोनों खाए जाते हैं। पोषण के बारे में अगर हम बात करें तो यह माना जाता है कि पोई भाजी पालक से भी श्रेष्ठ होती है, इसमें प्रोटीन, काबोर्हाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस पाया जाता है। इसके साथ ही पोई भाजी से हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं, ये गर्मी को शांत करता है और हमें रोगों से लड?े की ताकत भी देता है।

अरबी भाजी जिसे छत्तीसगढ़ में कोचाई भाजी के नाम से जाना जाता है।  कई जगह इससे घुइयां और पातल भाजी भी कहा जाता है। वैसे इस भाजी का वैज्ञानिक नाम है कोलोकेसिया एस्कुलेंटा। छत्तीसगढ़ के खानपान का कहीं भी जिक्र हो और इडहर का नाम ना आए, ऐसा नहीं हो सकता। दही और मही (छाछ) के साथ उड़द दाल से लपेटकर बनाई जाने वाली कोचई भाजी की इडहर कढ़ी छत्तीसगढ़ के हर घर में बड़े चाव से खाई जाती है। विटामिन ए इस भाजी में भरपूर पाया जाता है जिसके कारण यह भाजी आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए सबसे बेहतर है। अरबी भाजी के रेगुलर उपयोग से हमारे आंखों की मांसपेशियां मजबूत होती है। अगर आप अरबी भाजी खाते रहेंगे तो यकीन मानिए आपको ब्लड प्रेशर की शिकायत कभी नहीं होगी। इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में एंटी आॅक्सीडेंट भी पाए जाते हैं। अगर आपको वजन कम करना है तो भी अरबी के पत्ते आपकी हेल्प कर सकते हैं क्योंकि इनमें बहुत फाइबर होता है जो आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ा देता है जिससे वजन कम करने में आसानी होती है। जोड़ों के दर्द की शिकायत के लिए यह शर्तिया इलाज है, अगर आप 10 दिन में से 3 दिन अरबी की भाजी का काढ़ा पियेंगे तो आपको जोड़ों के दर्द की शिकायत के लिए दवाई खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

वैसे करमत्ता भाजी का वानस्पतिक नाम है आइपोमिया एक्वाटिका। इस भाजी की खासियत है कि हर सीजन में आप इसका स्वाद ले सकते है। करमत्ता भाजी ऐसे स्थान में पाया जाता है जहाँ जलभराव होता है इसलिए ये भाजी ज्यादातर धान के खेत के आसपास पाई जाती है। इस भाजी की मजेदार बात ये है कि जब सारी सब्जी भाजी पानी की अधिकता में खराब हो जाती तो ये सबसे ज्यादा फलती फूलती है। करमत्ता भाजी को छत्तीसगढ़ में कहीं-कहीं कलमी भाजी भी कहा जाता है। इस भाजी को खाने से आपको बहुत से स्वास्थ्य संबंधी फायदे मिलते है सबसे ज्यादा इस भाजी को खाने से आपके शरीर मे खून की मात्रा बढ़ती है साथ ही करमत्ता भाजी दांतो और हड्डियों को मजबूत करने में भी सहायता करती है। इसके अलावा करमत्ता भाजी खाने से कब्ज और आँखों की परेशानियां आपसे कोसों दूर चली जाती है। करमत्ता भाजी खाने में सुपाच्य है और करमत्ता भाजी से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। करमत्ता भाजी में बीटा कैरोटीन, कैल्शियम, आयरन और फॉस्फोरस भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। ये सभी विटामिन मिलके आपके ब्लडप्रेशर को भी संतुलित रखने का कार्य करती है।

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