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गाजीपुर ब्लास्ट में RDX का इस्तेमाल? पुलिस कर रही एनएसजी रिपोर्ट का इंतजार, सीमापार से तार जुड़ने के संकेत मिले

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 नई दिल्ली

दिल्ली की गाजीपुर फूल मंडी में बम रखे जाने की साजिश के आरोपी बेशक अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं लेकिन अधिकारियों का कहना है कि यह एक आतंकी हमला था। यह जानकारी ऐसे समय पर सामने आई है जब राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के अधिकारियों की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि बैग से आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट टाइमर और शार्पनल (बम का एक भाग जिसमें गोलियां होती हैं) बरामद हुआ है।  दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि वे आतंकवाद रोधी इकाई की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जिसके सोमवार को मिलने की संभावना है। इससे विस्फोटकों की प्रकृति, प्रयुक्त सामग्री और विस्फोट को अंजाम देने के लिए उपयोग में आने वाले उपकरण के प्रकार का पता चल जाएगा। किसी आतंकी समूह ने दिल्ली में आखिरी बार आरडीएक्स का इस्तेमाल  2005 में दिल्ली सीरियल ब्लास्ट के दौरान किया था।

2005 के बाद नहीं हुआ आरडीएक्स का इस्तेमाल
2005 के बाद से, दिल्ली में कम से कम पांच आतंकवादी हमले हुए हैं। इनमें सितंबर 2008 में सीरियल ब्लास्ट, सितंबर 2008 में महरौली फूल बाजार में धमाका, फरवरी 2012 में इजरायली राजनयिक की कार में विस्फोट, सितंबर 2011 में हाईकोर्ट बम विस्फोट और जनवरी 2021 में इजराइल दूतावास के बाहर तीव्रता वाला विस्फोट शामिल हैं। पुलिस जांच से पता चला है कि इनमें से किसी भी घटना में आरडीएक्स का इस्तेमाल नहीं किया गया था।
 
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एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'सोमवार को एनएसजी की रिपोर्ट में अगर आरडीएक्स की पुष्टि होती है तो यह सीमापार से आए लोगों या समूहों की भूमिका की ओर इशारा होगा। आरडीएक्स बाजार में उपलब्ध नहीं है। पिछली आतंकी घटनाओं में, पुलिस ने पाया है कि आमतौर पर सीमा पार से केमिकल की तस्करी की जाती है।'

आरडीएक्स से मिल रहा सीमापार लिंक की ओर इशारा
जांच में जुटी कई एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, इस घटना के तार पंजाब से जोड़कर भी देखे जा रहे हैं। यह भी सवाल उठ रहा है कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह की घटना को अंजाम देकर किसी और घटनरा को अंजाम देने का इरादा तो नहीं है। बहरहाल एजेंसियां इस घटना में आरडीएक्स का इस्तेमाल होने के बाद पूरी तरह चौकन्नी हो गई हैं, क्योंकि इससे सीमापार से घटना के तार जुड़ने के संकेत मिल रहे हैं। जांच एजेंसियों के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल सीमापर और पंजाब एंगल को लेकर मामले की तफ्तीश पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि अन्य दूसरे एंगल को भी पूतफ्तीश में शामिल किया गया है।

बड़ी साजिश का हिस्सा
सूत्रों का कहना है कि जिस पैटर्न पर आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट टाइमर बरामद हुआ है, उससे  शक जाहिर किया जा रहा है कि यह साजिश सीमा पार से रची गई हो सकती है। सुरक्षा एजेंसियों को यह भी शक है जिस तरह से पंजाब में कई ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया गया, उससे साबित होता है कि यह घटना एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी।

पांच किलोमीटर के दायरे में 50 सीसीटीवी की जांच
गाजीपुर मंडी में बम रखे जाने को लेकर जांच में जुटी पुलिस करीब 5 किलोमीटर के दायरे में लगे 50 सीसीटीवी फुटेज की गहनता से जांच कर रही है। वहीं 20 हजार डंप डाटा का भी गहनता से विश्लेषण किया जा रहा है। संदिग्ध लोगों की जानकारी के लिए इस डंप डाटा की हर एंगल से जांच की जा रही है। मामले की जांच को लेकर कुछ संदिग्ध नंबरों, फोन कॉल व इंटरनेट के जरिये किए गए कॉल की पुलिस टीम तफ्तीश कर रही है। दरअसल पुलिस को कुछ संदिग्ध कॉल आने की सूचना भी मिली है, जिसकी जांच की जा रही है। इन कॉल में खासतौर से दो प्रतिबंधित संगठनों के नाम पर की जा रही कॉल भी शामिल हैं।

स्लीपर सेल के नेटवर्क खंगाल रही पुलिस
जांच एजेसियां दो प्रतिबंधित संगठनों के स्लीपर सेल पर भी अपनी नजरें टिकाए हुए हैं। ये दोनों ही संगठन सीमापार से संचालित होते रहे हैं। इसलिए जांच एजेंसियों की पैनी नजर इन संगठनों के स्लीपर सेल पर है। पुलिस की टीमें खुफिया इकाइयों के साथ मिलकर इनके नेटवर्क को खंगाल रही हैं।

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