राजनीतिक

किसान मोर्चे की एंट्री से उलझा पंजाब का दंगल, अकाली-कांग्रेस के संग AAP का भी बिगड़ सकता खेल

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 चंडीगढ़।

पंजाब में विधानसभा चुनाव का मुकाबला काफी दिलचस्प होता जा रहा है। किसी भी दल के लिए राह आसान होती नहीं दिख रही है। किसान आंदोलन से सुर्खियों में आने वाले संयुक्त समाज मोर्चा की चुनावी समर में भागीदारी से कई दलों के समीकरण बदल गए हैं। अकाली और कांग्रेस दोनो के परंपरागत मतों में सेंधमारी हो सकती है। वहीं, आम आदमी पार्टी के समीकरण भी प्रभावित हो सकते हैं। पंजाब के चुनाव को इस बार पहले की तुलना में अलग देखा जा रहा है। जानकारों का कहना है कि कई सीटों पर चतुष्कोणीय संघर्ष की स्थिति बन सकती है। वहीं, कुछ सीटों पर मामला पांच कोणीय की वजह से और भी पेचीदा हो सकता है।

2017 के विधानसभा चुनावों से पहले पंजाब में कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल और भाजपा गठबंधन के बीच ही सीधा मुकाबला होता रहा है। 2017 के चुनाव में आम आदमी पार्टी के आने के बाद लड़ाई त्रिकोणीय हो गई थी। कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला था। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में किसान आंदोलन की कोख से उपजे नए मोर्चे के प्रवेश ने लड़ाई को और दिलचस्प बना दिया है।

शिरोमणि अकाली दल और भाजपा का गठबंधन टूट चुका है। अकाली दल इस बार बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने भी कैप्टन अमरिंदर सिंह सुखदेव सिंह की शिअद (संयुक्त) के साथ मिलकर अलग फ्रंट बनाया है। किसान संगठनों का संयुक्त समाज मोर्चा भी चुनावी समर में पूरी ताकत से दांव आजमाने के मूड में है। जानकारों का कहना है कि फिलहाल जिस तरह का चुनावी परिदृश्य उभरा है उससे तस्वीर काफी उलझ सी गई है।

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