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कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति पर कैसे असर डालेंगे 5 राज्यों के चुनाव परिणाम

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 नई दिल्ली 
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति के लिए भी अहम साबित होंगे। पार्टी इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करती है, तो संगठन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की स्थिति मजबूत होगी। वहीं, प्रदर्शन खराब रहा तो पार्टी के अंदर असंतुष्ट नेताओं को नेतृत्व पर सवाल उठाने का एक और मौका मिल जाएगा।

कांग्रेस के लिए यह चुनाव इसलिए भी अहम है, क्योंकि इन चुनाव परिणाम पर पार्टी के नए अध्यक्ष का चुनाव निर्भर है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक ने संगठन चुनाव को मई तक के लिए टाल दिया था। ऐसे में कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार होता है, तो चुनाव के बाद पार्टी में संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

पार्टी को सबसे ज्यादा उम्मीद केरल और असम से है। केरल में कांग्रेस के लिए जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि राहुल गांधी वायनाड से सांसद है। इसके अलावा केरल में हर पांच साल में सत्ता बदलती रहती है। ऐसे में वामदल सत्ता में दोबारा वापसी करते हैं, तो यह कांग्रेस की अगुआई वाली यूडीएफ के लिए बड़ा झटका होगा। वहीं, असम में पार्टी का गठबंधन मजबूत है।

असम में कांग्रेस एआईयूडीएफ सहित दस पार्टियों के महाजोत में चुनाव लड़ रही है। पार्टी का चुनाव प्रचार सफल रहा है, वहीं वोट प्रतिशत के हिसाब से महाजोत काफी मजबूत है। ऐसे में पार्टी को जीत की पूरी उम्मीद है। इसके साथ पार्टी तमिलनाडु में डीएमके जीतती है, तो पार्टी गठबंधन सरकार का हिस्सा होगी। हालांकि, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी से बहुत उम्मीद नहीं है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहता है, तो पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर दोबारा जिम्मेदारी संभालने की मांग जोर पकड़ेगी। प्रदेश कांग्रेस कमेटियां प्रस्ताव पारित कर उनसे अध्यक्ष बनने का आग्रह कर सकती है। हालांकि, यह आशंका जताई जा रही है कि कोरोना संक्रमण में वृद्धि को देखते हुए चुनाव को टाला जा सकता है।

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