इस्लामिक स्टेट का नाम इस्तेमाल कर हक्कानी, लश्कर ने काबुल गुरुद्वारा अटैक को दिया अंजाम
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काबुल/नई दिल्ली
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बुधवार को एक गुरुद्वारे पर हुए घातक हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस-खोरासन ने भले ली है, लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि असल में यह हमला आईएसआई की मदद से हक्कानी ग्रुप ने किया था। इस हमले में 27 लोग मारे गए हैं जिनमें सिख समुदाय के अलावा अन्य धर्म के लोग भी शामिल थे। हमले की भारत ने कड़ी निंदा की है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को बयान जारी किया, 'अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थल पर ऐसा कायरतापूर्ण हमला, वह भी तब जब कोविड19 महामारी फैली हुई है, यह हमलावर और उसका साथ दे रहे लोगों की क्रूर मानसिकता को दर्शाता है।'
IS के बयान से साफ हुआ पाक का मंसूबा
उधर, हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद अपने दूसरे बयान में इस्लामिक स्टेट ने कहा कि यह हत्या कश्मीर पर भारत के ऐक्शन का बदला था। दिल्ली में मौजूद भारत के वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि दूसरे बयान से स्पष्ट हो जाता है कि यह पाकिस्तान का अजेंडा था। हुसैन एहसानी काबुल में शोधार्थी हैं और इस्लामिक स्टेट खोरोसन जैसे संगठनों पर रिसर्च कर रहे हैं , उनका मानना है कि यह हमला हुआ क्योंकि हक्कानी ग्रुप और उनके सहयोगी लश्कर-ए-तैयबा दोनों मिलकर दिल्ली में हाल में हुए दंगे को लेकर भारत से बदला लेना चाहते थे। उन्होंने कहा, 'बदले की सबसे अच्छी जगह अफगानिस्तान थी। लश्कर-ए-तैयबा और हक्कानी ग्रुप के बीच का समन्वय यह संकेत देता है कि दोनों ने इस हमले को अंजाम दिया है।'
इस्लामिक स्टेट का सफाया फिर कैसे किया हमला
यह ध्यान देने वाली बात है कि हक्कानी ग्रुप का मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान का डेप्युटी लीडर है। दोनों ग्रुप को पाकिस्तान के आईएसआई समर्थन देते हैं। पिछले सप्ताह ही तालिबान ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर लिखा था कि उसनेे अफगानिस्तान से इस्लामिक स्टेट-खोरासन का सफाया कर दिया है। अगर तालिबान के दावे के मुताबिक अफगानिस्तान से इस्लामिक स्टेट का प्रभावी रूप से खात्मा कर दिया गया है तो फिर बुधवार को उसने इतने बड़े स्तर का हमला कैसे किया?
फिर इस्लामिक स्टेट ने इसकी जिम्मेदारी क्यों ली? एहसानी इस पर बताते हैं कि यह हक्कानी ग्रुप द्वारा यह शैडो गेम खेलने कीकोशिश है। उन्होंने कहा, 'काबुल में हाल के दिनों में कई हमले हुए हैं, जिसकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है, लेकिन उसके पास ऐसे जटिल हमले को अंजाम देने की रणनीतिक क्षमता नहीं हैं। हक्कानी ग्रुप को इस्लामिक स्टेट खोरासन ब्रैंड का महत्व समझ में आया है और इसने खुद को इसके पीछे रख लिया है।'
अफगानिस्तान में पाक प्रायोजित हमले की शुरुआत
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा माना जा रहा है कि पाकिस्तान इस हमले के पीछे है जिसके लिए तालिबान-लश्कर-हक्कानी का इस्तेमाल किया गया है। यह अफगानिस्तान में सिख अल्पसंख्यकों पर अब तक का सबसे बड़ा हमला है। उधर, भारत सरकार भी यह मान रही है कि पाकिस्तान इस हमले के पीछे हैं, क्योंकि यह शहर के सबसे अधिक सुरक्षित ग्रीन जोन से कुछ किलोमीटर दूर हुआ है, जहां तक इस्लामिक स्टेट का पहुंचना आसान नहीं है।
उधर, सूत्र बताते हैं कि हमले की टाइमिंग को अफगानिस्तान के मौजूदा राजनीतिक और सुरक्षा हालात को नजर में रखते हुए देखा जाना चाहिए। शांति प्रक्रिया की अनिश्चितता, अस्थिर सरकार और तालिबान के साथ शांति वार्ता में अमेरिका की अपेक्षाकृत कम रुचि ध्यान देने वाली बात है। भारत का यह भी मानना है कि यह आने वाले सप्ताह और महीनों में अफगानिस्तान में पाक प्रायोजित हमले की शुरुआत भी हो सकती है।