PM मोदी मृतकों के परिजनों को देंगे 2 लाख अनुग्रह राशि
मुंबई
महाराष्ट्र के पालघर जिले के विरार में विजय वल्लभ कोविड अस्पताल में आग लगने से 13 मरीजों की मौत हो गई है। इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और हादसे में गंभीर रूप से घायलों को 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया है। इस बात की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ ऑफिस) द्वारा दी गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति दुख जताया है। शुक्रवार (23 अप्रैल) तड़ेक करीब 3:15 बजे विजय वल्लभ कोविड अस्पताल के आईसीयू वार्ड में एयर कंडीशनिंग यूनिट में एक शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी। जिसमें 13 मरीजों की मौत हो गई है। अन्य गंभीर रूप से घायल लोगों को दूसरे अस्पताल में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया है।
पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी,ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पट्टनायक ने दुखद घटना पर दुख व्यक्त किया है। सीएम उद्धव ठाकरे ने मामले पर जांच के आदेश दिए हैं।
महाराष्ट्र के मंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि ये एक बहुत ही दुखद घटना है। इसकी जांच होगी। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मैंने मुख्यमंत्री से बात की, उन्होंने आदेश दिए हैं कि दोषी पाए जाने वाले किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए। अधिकारियों ने बताया कि सुबह 5:20 बजे तक दमकलकर्मियों ने आग बुझाई। एक अधिकारी ने कहा कि आईसीयू में 17 मरीज थे जब आग लगी। उन्होंने कहा कि चार मरीजों को बचाया गया और दूसरे अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया। विरार मुंबई से 50 किमी से अधिक दूरी पर है।
विरार सिविक फायर ब्रिगेड के मुख्य अग्निशमन अधिकारी दिलीप पलाव ने कहा कि लगभग 13 मरीजों की मौत की पुष्टि हुई है। हताहतों की संख्या बढ़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि हम मरीजों के लिंग की पहचान नहीं कर पा रहे हैं।
दमकल विभाग, वसई विरार नगर निगम द्वारा जारी मृतकों की सूची के अनुसार, 13 रोगियों में 5 महिलाएं थीं, जिन्होंने आग में अपनी जान गंवा दी। जबकि सबसे कम उम्र में एक 23 साल का युवक था। सबसे ज्यादा उम्र में एक 68 वर्षीय शख्स था। एक प्रत्यक्षदर्शी (चश्मदीद) अविनाश पाटिल ने कहा, अस्पताल में पानी के छिड़काव जैसे कोई अग्नि सुरक्षा के उपाय नहीं थे और बड़ी आग को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपाए भी नहीं किए गए थे। कोई डॉक्टर भी मौजूद नहीं थे और जब घटना हुई थी तब केवल दो नर्सें अस्पताल में थीं।