देश

तमिलनाडु के एक सांसद ने कहा है कि देश के उत्तरी राज्य दक्षिणी राज्यों से 40 साल पीछे हैं

Spread the love

नई दिल्ली
तमिलनाडु और संसद में जारी त्रि-भाषा विवाद के बीच तमिलनाडु के एक सांसद ने कहा है कि देश के उत्तरी राज्य दक्षिणी राज्यों से 40 साल पीछे हैं। उन्होंने इसके पीछे दो-भाषा फॉर्मूले को असली वजह बताया है। मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMK) के सांसद और पार्टी प्रमुख वाइको के बेटे दुरई वाइको ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ हुई एक मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि दो भाषा फॉर्मूले के कारण ही तमिलनाडु के लोग लगभग सभी क्षेत्रों में हावी हैं। वाइको तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी के साथ केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात कर पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री) योजना के तहत फंड जारी करने का आग्रह करने पहुंचे थे। इस पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु को राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर हस्ताक्षर करना होगा, जिसमें तीन-भाषा नीति का प्रावधान किया गया है। इस मुलाकात के दौरान वाइको ने केंद्रीय मंत्री संग भाषा विवाद पर तर्क-कुतर्क किए।

शिक्षा मंत्री संग वाद-विवाद, तर्क-कुतर्क
इस मुलाकात के बारे में वाइको ने कहा, "तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से कहा कि तमिलनाडु ने पीएम श्री योजना में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, इसलिए हमें फंड मिलना चाहिए। आप इसे एनईपी से क्यों जोड़ रहे हैं। इस पर उन्होंने (प्रधान) ने कहा कि तमिलनाडु 40 साल पीछे है और अब आपको जाग जाना चाहिए, आप छात्रों को हिंदी क्यों नहीं सीखने दे रहे हैं?" वाइको ने बताया कि जब उन्हें बोलने का मौका मिला तो उन्होंने मंत्रीजी से कहा, "तमिलनाडु 40 साल पीछे नहीं है। उत्तरी राज्यों की तुलना में हम 40 साल आगे हैं और इसकी वजह दो भाषा फॉर्मूला है।" इतना ही नहीं एमडीएमके नेता ने कहा कि भाजपा को छोड़कर तमिलनाडु के राजनीतिक दल इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वे तीन-भाषा नीति को स्वीकार नहीं करेंगे।

न हम हिन्दी के विरोधी, न थोपने वाले
लोकसभा में तिरुचिरापल्ली का प्रतिनिधित्व करने वाले वाइको ने कहा, "चूंकि एनईपी तीन-भाषा फॉर्मूले पर जोर देती है, इसलिए हमने कुछ बदलावों का सुझाव दिया है। अगर वे बदलाव मंजूर करते हैं तो हमें इस पर हस्ताक्षर करने में कोई आपत्ति नहीं है।" उन्होंने यह भी कहा कि तमिलनाडु की पार्टियां हिंदी के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा, "चेन्नई में हिंदी प्रचारक सभा 60-70 वर्षों से काम कर रही है लेकिन हम राज्य के लोगों पर हिंदी थोपना नहीं चाहते हैं।"

दुनिया पर हावी होने में दो-भाषा का योगदान
उन्होंने अंग्रेजी का समर्थन करते हुए कहा कि यह लोगों से संवाद करने का एक माध्यम है और भारत को इसमें महारत हासिल करने की जरूरत है क्योंकि यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा, “दक्षिण (भारत) के लोगों के लिए अंग्रेजी प्रगति का एक साधन रही है। तमिल लोग दुनिया भर में, सभी क्षेत्रों में, चाहे वह आईटी हो या चिकित्सा विज्ञान। वे अंग्रेजी दक्षता के कारण ही हावी हैं। वहां तक हमारे पहुंचने में दो-भाषा नीति का बड़ा योगदान रहा है।”

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button
Close