1363 मेगावाट की अघोषित कटौती, सरकार का दावा भ्रामक, बिद्युत मंडल की 16में से 9 ईकाईयां बंद
भोपाल
मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश को अंधेरे युग में ढकेल दिया है ।लगातार सरकार द्वारा शासकीय विद्युत उत्पादन इकाइयों को बंद किया जा रहा है और निजी क्षेत्र की कंपनियों से महंगे दामों पर बिजली खरीदी जा रही है। 4 साल पहले जो सरकार सर प्लस बिजली होने के नकली दावे कर रही थी। वही सरकार आज अघोषित कटौती कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि निजी क्षेत्र की कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने उपभोक्ता की ठगी के नए रास्ते बना लिए हैं सरकार को यह बताना चाहिए कि मध्यप्रदेश में सर प्लस पावर होने के बावजूद पावर कट क्यों किया जा रहा है? महंगी बिजली खरीदकर सस्ते दामों पर पावर सरेंडर क्यों किया जा रहा है? मध्य प्रदेश सरकार का यह नया लूट तंत्र है जिसमें 9 जून को ही लगभग 4000 मेगा वाट तक बिजली सस्ते दामों पर सरेंडर की जा गई है।
गुप्ता ने अनश्यूडील्ड लोड शैडिंग के वेबसाइट के स्क्रीनशॉट जारी करते हुए बताया है कि कल ही पावर मेनेजमेंट कंपनी ने 1363 मेगा वाट की अघोषित लोड शैडिंग की है जबकि उसके एक दिन पूर्व 1708 मेगा वाट की लोड शैडिंग की गई थी ।विद्युत विभाग के एसीएस द्वारा कोई लोड सेडिंग ना करने का बयान भ्रामक है और मात्र नाक बचाने का प्रयास है। 2 से 3 घंटे की अघोषित और अनियमित लोड शैडिंग लगातार की जा रही है ।
गुप्ता ने मांग की कि सरकार को यह बताना चाहिए की उपभोक्ता की पीक डिमांड 9097 मेगा वाट होने के बावजूद इतनी भारी लोड शैडिंग क्यों की जा रही है जबकि विद्युत कंपनी ने लगभग 21000 मेगावाट के निजी कंपनियों से क्रय अनुबंध कर रखे हैं ।
सरकार को यह भी बताना चाहिए जब मध्य प्रदेश का अधिकतम पीक लोड ही मात्र 15000 मेगावाट होता है तो 21000 मेगावाट तक के क्रय अनुबंध क्यों किए गए? इन काले क्रय अनुबंधों से होने वाले लगभग 3000 करोड़ के नुकसान की भरपाई ईमानदार उपभोक्ता क्यों करें?
सरकार ने जानबूझकर विद्युत ईकाईयों को बंद रख रही है।सारणी में 1330 की क्षमता पर 252,संजत ताप में 1340 की क्षमता पर 474,सिंगाजी में 2520की क्षमता पर 857 और चचाई में 210की क्षमता पर 210 मेगावाट बिजली बनाई जा रही है। वहीं जलविद्युत ईकाइयों से2435 की क्षमता पर 456 मेगावाट उत्पादन हो रहा है।गुप्ता ने कहा कि प्रदेश की जनता जानना चाहती है कि उपभोक्ता की लुटाई के बावजूद कंपनियां कोल इंडिया का 1100करोड़ क्यों नहीं चुका रहीं हैं?
गुप्ता ने कहा इसी अवस्था में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने ₹100 में 100 यूनिट बिजली प्रदाय की थी और आज लगभग चार गुनी कीमत पर बिजली बेचने के बावजूद कंपनियां कैसे इतने घाटे में पहुंच गई है ?16 में से 9 इकाईयां बंद हैं ताकि निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाया जा सके।अधिक दामों पर खरीदी गई बिजली जनता को प्रदान करने की बजाय सरेंडर की जा रही है ।मध्य प्रदेश के मिस्टर चौपटराज को यह जबाब देना होगा कि 21000 मेगावाट उपलब्धता के बावजूद मध्यप्रदेश अंधेरे की तरफ क्यों जा रहा है?