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होलिका दहन के दिन ये काम बेहद अशुभ माने जाते हैं

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भगवान विष्णु ने जब नरसिंह का अवतार लेकर भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी, तब से ही होली का त्योहार मनाने की परंपरा चली आ रही है. होली का पर्व दो दिन मनाया जाता है. पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन रंग वाली होली खेली जाती है. इस बार होलिका दहन रविवार, 28 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन के दिन ये काम बेहद अशुभ समझे जाते हैं.होलिका दहन के दिन किसी को भी पैसे उधार देने की गलती न करें. इस दिन रुपए-पैसे का लेन-देन करने से घर में पूरे साल धन की कमी रहती है. ऐसा करने से घर की सुख-समृद्धि में भी कमी आती है. यदि किसी महिला का सिर्फ एक पुत्र है तो उसे होलिका दहन की अग्नि प्रज्वलित नहीं करनी चाहिए. हालांकि अगर किसी महिला की एक पुत्री और एक पुत्री है तो वो होलिका दहन की अग्नि प्रज्वलित कर सकती है. होलिका दहन के दिन सफेद चीजें खाने से सख्त परहेज करना चाहिए. इस दिन भूलकर भी सफेद चीजों का सेवन न करें. सफेद चीजों से नकारात्मक शक्तियां जल्दी आकर्षित हो जाती हैं. इसलिए सफेद मिठाई, खीर, दूध, दही या बताशे आदि का सेवन न करें.

होलिका दहन में आम, वट और पीपल की लकड़ी जलाना बेहद अशुभ समझा जाता है. दरअसल इस मौसम में इन तीनों ही पेड़ों में नई कोपलें आने लगती हैं, इसलिए इन्हें जलाना सही नहीं माना जाता है. आप गूलर या अरंड के पेड़ की लकड़ी का ही इस्तेमाल करें. इसके अलावा उपले का भी प्रयोग कर सकते हैं.

होलिका दहन के दिन महिलाओं को सिर ढककर ही रहना चाहिए. वे चाहें तो अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए इस दिन उपवास भी कर सकती हैं. ऐसा करने से भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा मिलती है. होली के दिन अपनी माता का अपमान करने से आपको जीवन में दरिद्रता का सामना करना पड़ सकता है. इस दिन अपनी माता को उपहार दे सकते हैं. ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा और उन्नति के नए मार्ग प्रशस्त होंगे. होलिका दहन के दिन व्यक्ति को अपने परिवार सहित गेहूं और गुड़ से बनी रोटी खानी चाहिए. इस दिन काले चने का सेवन करने से भगवान शनिदेव की विशेष कृपा मिलती है.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त- इस बार होलिका दहन पर भद्रा का साया नहीं होगा, जो कि काफी शुभ है. 28 मार्च को शाम 6 बजकर 36 मिनट से रात साढ़े 8 बजे तक बेहद शुभ योग है. वहीं 8 बजकर 3 मिनट से रात साढ़े 9 बजे तक अमृत काल लगेगा. शास्त्रों की मानें तो यही होलिका दहन का सबसे उचित समय होगा.

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