हिंदी विवि: पेंशन के साथ विश्वविद्यालय से मिल रहे तीस-तीस हजार का मानदेय
भोपाल
अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में नियमित और संविदा शिक्षक और कर्मचारियों का अभाव बना हुआ है। विवि छह साल में भर्ती करने अक्षम साबित रहा है। नियुक्ति के अभाव में विवि ने खानापूर्ति के लिए सलाहकारों को रखना शुरू कर दिया है।
वर्तमान में विवि में आधा दर्जन सलाहकार नियुक्त कर दिए गए हैं। सौ से ज्यादा कोर्स लेकर भोपाल में स्थापित हुए हिंदी विवि अब चंद कोर्स पर आकर सिमट चुकी है। जो बचे हुए कोर्स हैं, उनमें पढ़ाने के लिए विवि में मापदंड के मुताबिक शिक्षक तक मौजूद नहीं हैं। इसकी वजह विवि प्रबंधन का कमजोर प्रशासन है। करीब छह साल से भर्ती को लेकर प्रयास होते रहे हैं, लेकिन भर्ती नहीं हो सकी है। यहां तक विवि में नियमित कर्मचारी और अधिकारी तक मौजूद नहीं हैं। इसलिए अब विवि में सलाहकार नियुक्त करना शुरू कर दिया है। इसमें वर्तमान में विवि में आध दर्जन से ज्यादा सलाहकारों को नियुक्त किया गया है। इसमें अध्ययन केंद्र और विधि सलाहकार एसडी नामदेव, केएस कुशवाहा स्टोर प्रभारी, सिताराम सराठे और संतोष शर्मा स्थापना, सुरेश तिवारी योग, राकेश शर्मा परीक्षा और पीएस ओझा छात्रवृत्ति में सलाह देने के लिए नियुक्त किए गए हैं।
सलाहकरों ने अपनी मनमर्जी चलाना शुरू कर दिया है। वे अपने सभी कार्य विवि में रखी गई गेस्ट फैकल्टी से कराते हैं। इससे उनमें सलाहकारों के प्रति रोष पनप रहा है। उनका कहना है कि विवि ने उन्हें तीस-तीस हजार के मानदेय पर रखा है, तो वे अपने कार्य स्वयं क्यों नहीं करते हैं। वे अपनी वरिष्ठा और सेवाएं समाप्त कराने की बात कहकर जबरिया कार्य कराते हैं। जबकि विवि को नए लोगों को मौका देना चाहिए।
विवि में नियुक्त किए गए सात सलाहकार अपनी सरकारी सेवाओं से सेवानिवृत्त हो गए हैं। इसमें से अधिकतम 65 की आयुसीमा लांघ चुके हैं। इसलिए उन्हें अच्छी खासी पेंशन मिल रहा है। इसके अलावा वे विवि में तीस-तीस हजार रुपए तक का मासिक मानदेय तक ले रहे हैं।