हाईकोर्ट ने गंगरेल बांध प्रभावितों के लिए राहत भरा सुनाया आदेश
रायपुर. गंगरेल बांध निर्माण में बेघर हुए हजारों परिवारों के लिए उम्मीद की नई किरण जागी है. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का ऑर्डर उनका जिंदगी बदल सकता है. हाईकोर्ट ने सरकार से कहा है जितने भी परिवार इसमें प्रभावित हुए थे, उनका व्यवस्थित पुनर्वास हो.
48 साल पहले बने इस बांध से करीब 9 हजार परिवार प्रभावित हुए थे. उनका गांव, खेत, जमीन और सबकुछ छिन गया. कमाल की बात ये है कि उस वक्त कई परिवारों को 50 पैसे, 18 रुपए तो 24 रुपए मुआवजा दिया गया. सबकुछ छिन जाने के बाद इस मुजावजे को देखकर 48 साल पहले लोगों ने संघर्ष शुरू किया. दो-तीन पीढ़ी बीत गई लड़ते-लड़ते, तब जाकर अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक उम्मीद का फैसला सुनाया है. आइए जानते हैं कुछ ऐसे लोगों की कहानी जिनका जीवन बांध बनने के उजड़ गया…..
अरौद गांव के महादेव नेताम तब बहुत छोटे थे. उनका हंसता खेलता घर अचानक उजड़ गया. गंगरेल की तरफ इशारा करते हुए वे बताते हैं कि उधर मेरा घर था. नेताम का घर उजड़ जाने के कारण वे तालीम हासिल नहीं कर सके. तब वे बहुत छोटे थे. उनके पिता और दादा लड़ रहे थे. कितना मिला, उन्हें नहीं पता और अब क्या मिलेगा ये भी समझ नहीं पा रहे हैं.
देवीलाल के परिवार को आज तक उनका मुआवजा 9000 रुपए नहीं मिला है. परिवार में मां – बेटे बच गए हैं. खराब हालत है उनकी. सरकारी अनाज के भरोसे पेट भर रहे हैं. बेटा देवीलाल दिव्यांग है. दस कदम चल नहीं सकता. मां की कमर झुक गई है. अभी दो दिन पहले गणेश खापर्डे बैठक लेने अरौद पहुंचे तो मां रोने लगी. बताया कि डेढ़ लाख रुपया कर्ज हो गया है.
अरौद के चौक पर बिस्कुच-चॉकलेट की एक छोटी सी दुकान है. इसे सुखित राम नेताम चलाते हैं. उनके बुजुर्गों की बटरेल गांव में घर-बाड़ी थी. वह डूब में आई तो सात हजार रुपया मुआवजा मिला. वहां से उजड़कर वे अरौद गांव आकर बस गए. यहां अभी उनके पास आधा एकड़ जमीन है. उसी में खेतीबाड़ी करते है. दुकान है जिससे थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती है और इसी के सहारे उनका आठ लोगों का परिवार है.
कोर्ट का फैसला आने के बाद गंगरेल डुबान क्षेत्र से करीब 25 किमी दूर जोगीडीह में ग्रामीणों के व्यवस्थापन की चर्चा है. गांव वालों ने 15 फीसदी अतिरिक्त मुआवजे के लिए भी केस लगाया है. इसके अलावा वे अपेक्षा कर रहे हैं कि डूब के गांवों के बेरोजगार युवाओं को योग्यतानुसार भिलाई स्टील प्लांट में नौकरी दी जाए, क्योंकि गंगरेल क पानी भिलाई स्टील प्लांट के लिए जाता है.