स्व-सहायता समूहों को रोजगार-व्यवसाय के लिए सहजता से उपलब्ध कराए ऋण : डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम
रायपुर
आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने आज वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम द्वारा प्रदेश में संचालित विभिन्न योजनाओं के प्रगति की समीक्षा की। मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि स्थानीय स्व-सहायता समूहों के माध्यम से राज्य के सभी छात्रावासों एवं आश्रमों में आवश्यक दैनिक उपयोग की सामग्री की आपूर्ति किए जाने की मंशा मुख्यमंत्री ने जतायी है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें स्व-सहायता समूहों को उनकी आवश्यकता के अनुसार ऋण उपलब्ध कराने की पहल करनी चाहिए ताकि समूह सक्षम बने और छात्रावास एवं आश्रम की मांग के अनुसार दैनिक उपयोग की सामग्री प्रदान कर सके। मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि छात्रावासों एवं आश्रमों के साथ स्व-सहायता समूहों का लेन-देन पूरी तरह से पारदर्शी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समूह अच्छी गुणवत्ता सामग्री समय पर उपलब्ध करा सके, इसके लिए भी हम सबकी यह जिम्मेदारी है कि उन्हें इसके लिए आवश्यक मार्गदर्शन एवं सहयोग प्रदान करें। मंत्री टेकाम ने विभागीय अधिकारियों को अंत्यावसायी की योजनाओं के तहत उन्हें अपने रोजगार व्यवसाय को बढ़ाने के लिए प्राथमिकता से ऋण भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। इस अवसर पर विभाग के सचिव श्री डी.डी. सिंह, प्रबंध संचालक राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम शम्मी आबिदी और विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
मंत्री डॉ. टेकाम ने समीक्षा के दौरान जिला अधिकारियों को स्व-सहायता समूहों को लाभ देने के लिए विभागीय योजनाओं के तहत अधिक से अधिक प्रकरण तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा ऋण वितरण करने के लिए सभी को अच्छा कार्य करना है। अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम योजना अंतर्गत अधिक से अधिक आमदनी होने वाली योजना के प्रकरण तैयार करें, जिससे वसूली भी ज्यादा हो सके। इसके लिए मार्केट का अवलोकन एवं स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार सार्थक ऋण प्रकरण बनाए। डॉ. टेकाम ने कहा कि प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं जनजाति बाहुल्य 85 विकासखण्ड हैं। मंत्री डॉ. टेकाम ने अधिकारियों को आदिवासी क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा को बढ़ाने के उद्देश्य से सवारी वाहन के प्रकरण भी प्राथमिकता से तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इससे अंचल के शिक्षित युवाओं को रोजगार एवं आजीविका का साधन उपलब्ध हो सकेगा। वनांचल क्षेत्रों के स्व-सहायता समूहों को भी उनकी आर्थिक गतिविधियों के बेहतर संचालन के लिए सहजता से ऋण उपलब्ध कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए। मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि वनांचल के स्व-सहायता समूह जब सक्षम होंगे, तब वह स्थानीय संग्राहकों से लघु वनोपजों की खरीदी एवं उसके एवज में भुगतान आसानी से कर सकेंगे।
विभाग के सचिव डी.डी.सिंह ने अधिकारियों को अपने-अपने जिले में सूरजपुर मॉडल पर स्व-सहायता समूह को वित्तीय सहायता देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्व-सहायता समूहों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना शासन की मंशा है। इसके लिए जरूरी है कि समूहों के पास अपने रोजगार व्यवसाय के लिए पर्याप्त पूंजी हो। उन्होंने अधिकारियों को समूहों के ऋण प्रकरण तैयार के उन्हें बैंक के माध्यम से लोन दिलाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर कई समूह संचालित है जिनकी आर्थिक गतिविधियां अलग-अलग है। सभी समूहों को उनके रोजगार व्यवसाय के लिए सक्षम बनाना हमारी जिम्मेदारी है ताकि वह समाज के साथ-साथ छात्रावासों एवं आश्रमों की जरूरत के अनुसार सामग्री आपूर्ति कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रायः यह देखने और सुनने को मिलता है कि व्यक्तिगत ऋण के बजाय समूहों को दिए गए ऋण की वसूली सरल है। उन्होंने स्व-सहायता समूहों को व्यवसाय के लिए उनकी आवश्यकता के अनुसार 10 लाख रूपए तक का ऋण एवं अनुदान सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
प्रबंध संचालक शम्मी आबिदी ने कहा कि योजना अंतर्गत जो लक्ष्य दिए गए हैं वह न्यूनतम है, लक्ष्य से अधिक गुणवत्तापूर्ण प्रकरण तैयार कर बैंकों को भेजे, जिससे निरस्तीकरण कम हो। जहां अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या ज्यादा है, वहां अधिक से अधिक प्रकरण तैयार करें। जिस व्यवसाय के लिए जिस क्षेत्र में ऋण दे रहे हैं, उससे पर्याप्त आमदनी होगी या नही, उस क्षेत्र में आवश्यता से ज्यादा पहले से व्यवसाय स्थापित तो नहीं है, जनसंख्या और आबादी का आंकलन करते हुए स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर हितग्राहियों को लाभ पहुंचाने वाले प्रकरण बनाए जाएं।