सुशासन स्कूल में नए DG की खोज दस माह में भी नहीं मिला थिंक टैंक
भोपाल
सुशासन एवं नीति विश्लेषण स्कूल में महानिदेशक (डीजी) के पद योग्य अफसर की तलाश इस माह पूरी हो सकती है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आर परशुराम के इस्तीफे के बाद पिछले दस महीने से इस पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी सम्हाल रहे है। नये डीजी की पदस्थापना के बाद सरकार इस संस्थान को एक महती जिम्मेदारी सौंपेगी। सरकार इसे अपने थिंक टैंक के रूप में उपयोग करेगी। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कार्यकाल में सुशासन एवं नीति विश्लेषण स्कूल में पूर्व मुख्य सचिव आर परशुराम को राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद से यहां महानिदेशक के पद पर शिफ्ट किया गया था।
राज्य निर्वाचन आयोग में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह का पुनर्वास करते हुए उन्हें वहां आयुक्त बनाया था। लेकिन कांग्रेस सरकार गिरने के बाद जब दुबारा भाजपा की सरकार बनी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुशासन एवं नीति विश्लेषण स्कूल की भूमिका में बड़ा बदलाव करने का मन बनाया था। इसे नीति आयोग की तर्ज पर जिम्मेदारी देते हुए मध्यप्रदेश में राज्य नीति आयोग की भूमिका में लाना और सभी सरकारी विभागों के लिए योजनाओं और नीतियों के निर्माण में इसका उपयोग किया जाना था।
सुशासन एवं नीति विश्लेषण स्कूल के महानिदेशक पद से आर परशुराम ने अचानक पांच जून 2020 को इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद से मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अभी इस जिम्मेदारी को अतिरिक्त रूप से संभाल रहे है। दस माह पूरे हो चुके है और यहां डीजी के लिए नए पद की तैनाती नहीं हो पाई है।
राज्य सरकार ने सुशासन एवं नीति विश्लेषण स्कूल में छह क्षेत्रोें में प्रमुख सलाहकार नियुक्त कर रखे है। लेकिन इस भारी-भरकम अमले का सही उपयोग इस समय नहीं हो पा रहा है। जो प्रमुख सलाहकार यहां तैनात है उनमें डॉ सतीशचंद्रा सोशल सेक्टर देखरहे है। डॉ शैलजा सुधीर स्वास्थ्य क्षेत्र, डॉर सुप्रभा पटनायक अरबन क्षेत्र, मंगेश त्यागी नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट , राहुल चौधरी इकानामिक सेक्टर और पीयूष खरे नालेज मैनेजमेंट सेक्टर को देख रहे है।
सुशासन एवं नीति विश्लेषण स्कूल में रिटायर्ड आईएएस पदमवीर सिंह और आर परशुराम जैसे एसीएस स्तर के अधिकारी डीजी की जिम्मेदारी संभाल चुके है। राज्य सरकार चाहती है कि यहां मध्यप्रदेश में ही लंबे समय तक प्रशासनिक जिम्मेदारी संभाल चुके एसीएस स्तर के किसी अधिकारी को यह दायित्व दिया जाए। इसके लिए एसीएस के पद से सेवानिवृत्त हो चुके और होने वाले चुनिंदा अफसरों के नामों पर तेजी से विचार चल रहा है। संभावना है कि इस माह के अंत तक सरकार की खोज पूरी हो जाए और यहां योग्य रिटायर्ड आईएएस की तैनाती कर दी जाए। मध्यप्रदेश के अफसर को मौका देने के पीछे सरकार का तर्क यह है कि जो मध्यप्रदेश की जरुरतों को ज्यादा समझता है।
राज्य सरकार ने सुशासन एवं नीति विश्लेषण स्कूल के महानिदेशक पद के लिए योग्य अधिकारी की खोज की जिम्मेदारी इंडियन स्कूल आॅफ बिजनेस चंडीगढ़ को जिम्मेदारी सौपी थी। वहां से दो इकानामिस्ट और दो रिटायर्ड आईएएस अफसरों के नाम भेजे गए थे। ये सभी अफसर मध्यप्रदेश के बाहर के थे। ये अफसर सरकार को रास नहीं आए। इसलिए इनमें से किसी का भी चयन नहीं किया गया।