विश्राम घाट पर 16-16 घंटे काम कर रहे कर्मचारी, शनिवार को 92 लोगों का हुआ अंतिम संस्कार
भोपाल
भोपाल में कोरोना प्रोटोकॉल से हो रहे अंतिम संस्कार में कमी आई है. शनिवार को 92 लोगों का इसके तहत अंतिम संस्कार किया गया. इससे पहले यह आंकड़ा बढ़कर 118 हो गया था. मौत के आंकड़े के कम होने के पीछे की वजह मरीजों को सही समय पर ऑक्सीजन मिलना और रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता बताई जा रही है. विश्राम घाटों पर कर्मचारी 16-16 घंटे काम कर रहे हैं. इससे उनकी हालत खराब हो रही है.
अभी तक शहर के मुख्य विश्राम घाट और कब्रिस्तान में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हो रहे अंतिम संस्कार की डरावनी तस्वीरें और आंकड़े रोज सामने आ रहे थे. यह आंकड़े पिछले 8 दिन में लगातार बढ़ रहे थे. लेकिन अब इन मौत के आंकड़ों में कमी आई है. 16 अप्रैल को 118 और 15 अप्रैल को 112 अंतिम संस्कार का आंकड़ा सामने आया था.
17 अप्रैल को भदभदा विश्रामघाट में 64 और सुभाष नगर में 22 शवों का कोरोना प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार हुआ. साथ ही 6 शवों को झदा कब्रिस्तान में दफनाया गया. शहर में 45 लोगों की सामान्य मौत हुई. सबसे ज्यादा अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत भदभदा विश्राम घाट में किए जा रहे हैं. इसके बाद सुभाषनगर विश्राम घाट का नंबर आता है. इन दोनों विश्राम घाट में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत शवों के अंतिम संस्कार के लिए अतिरिक्त जगह का इस्तेमाल किया जा रहा है.
रोजाना बढ़ती मृतकों की संख्या को देखते हुए भदभदा विश्राम घाट समिति ने हाथ खड़े करना शुरू कर दिए है. समिति के अध्यक्ष अरूण चौधरी ने कहा है कि इसके लिए इंतजाम नाकाफी हैं. थकान के चलते विश्राम घाट पर काम कर रहे सेवकों ने काम करने से इंकार कर दिया है. 15 से 16 घंटे तक काम करने की वजह से कर्मचारियों की हालत खराब होती जा रही है.