रीसर्वे योजना में 841 गांवों के बनेंगे नक्शे: सर्वे
भोपाल
प्रदेश में शहर से दूर ऐसे गांवों की जमीन का सर्वे राजस्व विभाग कराएगा जो आबादी भूमि के दायरे में नहीं आती हैं। प्रदेश भर में ऐसे 841 गांव हैं जहां के नक्शे सरकार के पास नहीं हैं। सरकार को आशंका है कि इन गांवों में पटवारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से जमीन के स्वामित्व में हेरफेर किए गए हैं जिससे आने वाले समय में लोगों के भूमि स्वामी रिकार्ड में दिक्कत हो सकती है और सरकार को भी भू अर्जन करने और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में दिक्कत आ सकती है। इसलिए इन गांवों में सर्वे री सर्वे योजना के अंतर्गत डिजिटल नक्शे तैयार कराने का काम किया जाएगा।
आयुक्त भू अभिलेख ज्ञानेश्वर पाटिल ने केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया लैंड रिकार्ड माडर्नाइजेशन प्रोग्राम के अंतर्गत ऐसे नगरेत्तर (शहर से अलग) गांवों की भूमि का सर्वे री सर्वे शुरू करने का फैसला किया है। इसके लिए संबंधित जिलों के कलेक्टरों को पांच पांच पटवारियों और संबंधित ग्रामों से संबद्ध तहसीलदारों को भी इसके लिए टेÑंड करने का काम किया गया है। जल्द ही सर्वे की आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके सर्वे का काम किया जाएगा। सरकार का मानना है कि एक बार रिकार्ड सही हो जाएंगे तो गांवों में जमीन संबंधी विवादों में कमी होगी। अभी नक्शे और मौके पर भिन्नता होने के कारण विवाद की स्थिति बनती है जो अपराध की वजह बनती है। रिकार्ड सही हुए तो ग्रामीणों को जमीन की खरीद फरोख्त में भी दिक्कत नहीं होगी और सीमांकन के विवाद खत्म हो जाएंगे। दूसरी ओर सार्वजनिक उपयोग और निस्तार की जमीन के संरक्षण में सरकार को आसानी होगी।
प्रदेश भर में 841 गांवों के नक्शे सरकार के पास नहीं हैं। जो रिकार्ड हैं वे कटे फटे और जीर्ण शीर्ण हैं जिससे उनकी वैधता पर विवाद है। इसे देखते हुए इन गांवों में सर्वे रीसर्वे योजना में काम कराया जाएगा। सबसे अधिक 442 गांव सतना जिले के हैं। इसके अलावा नीमच के 49, छतरपुर के 39, भिंड के 33, अशोकनगर के 30, देवास के 29, पन्ना के 25, श्योपुर के 23, छिंदवाड़ा के 21, खंडवा के 16, होशंगाबाद के 15, मंदसौर के 13, विदिशा के 12, सागर के 11 गांवों के नक्शे उपलब्ध नहीं हैं। इन सभी गांवों में तीन सालों में अलग-अलग चरण में यह काम पूरा कराया जाएगा जिस पर 293 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से 228 करोड़ रुपए दिए जाएंगे।