छत्तीसगढ़बिलासपुररायपुर

रायपुर, 28 अगस्त 2021/छत्तीसगढ़ में दो वर्षों में 1173 करोड़ रूपए मूल्य के लघु वनोपजों का संग्रहण

राज्य में लघु वनोपजों के संग्रहण के क्षेत्र में हो रहे उल्लेखनीय कार्य की केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुण्डा ने की सराहना

Spread the love

छत्तीसगढ़ में विगत दो वर्षों में 01 हजार 173 करोड़ रूपए के मूल्य का लघु वनोपजों का संग्रहण हुआ है, जो देश में अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ को लघु वनोपजों के संग्रहण के क्षेत्र में देश में सबसे अधिक 11 पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया है। इनमें छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा किए जा रहे कार्यों के लिए 9 विभिन्न उप वर्गो तथा अन्य कार्यों के लिए 02 वर्गो सहित कुल 11 पुरस्कार शामिल हैं।

इसकी सराहना केन्द्रीय जनजातीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज अपने दो दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान बस्तर क्षेत्र के विभिन्न स्थलों में भ्रमण कर लघु वनोपजों के संग्रहण तथा प्रसंस्करण आदि कार्यों की जानकारी लेते हुए की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में लघु वनोपजों के संग्रहण का कार्य बेहतर ढंग से संचालित हो रहा है। इससे आदिवासी-वनवासी सहित लघु वनोपजों के संग्राहकों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। साथ ही राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपजों की खरीदी का अधिक से अधिक लाभ भी मिल रहा है। यह कार्य उनकी तरक्की में काफी मददगार साबित हो रहा है।

इस दौरान केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुण्डा ने बस्तर जिले के लोहाण्डीगुण्डा तहसील स्थित वन धन विकास केन्द्र धुरागांव का भी भ्रमण कर समूह के सदस्यों को प्रोत्साहित किया। यहां वन धन केन्द्र में ईमली, आम, बेल, आंवला, जामुन और चिरौंजी जैसे लघु वनोपजों की खरीद तथा प्रसंस्करण का कार्य हो रहा है। धुरागांव वन धन विकास केन्द्र से जुड़े गांवों में पारापुर, लमरागुड़ा, कुत्थर, मतनार, मरदोम, बदरेंगा, कस्तूरपाल, अनजार, अलनार, मंदर, चापर-भानपुरी और कटनार शामिल हैं। उन्होंने इस दौरान जगदलपुर में स्थापित की जा रही ट्राईफूड परियोजना के स्थल का भ्रमण किया और परियोजना स्थल पर वन धन सम्मेलन को भी सम्बोधित किया।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान में 52 प्रजाति के लघु वनोपजों की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है। राज्य में वर्ष 2018 के दौरान लघु वनोपजों के संग्रहण केन्द्रों की संख्या 590 थी, जो वर्ष 2021 में बढ़कर 4 हजार 337 हो गई है। इस दौरान हर्बल उत्पाद के निर्माण तथा प्रसंस्करण में सम्मिलित सदस्यों की संख्या 4239 से बढ़कर 17 हजार 424 तक हो गई है। संग्रहित लघु वनोपजों की मात्रा 5400 क्विंटल से बढ़कर 6 लाख 21 हजार क्विंटल तक हो गई है। राज्य में वर्ष 2018 में लगभग 4 करोड़ रूपए के मूल्य का लघु वनोपजों का संग्रहण हुआ था, जो वर्ष 2021 में 158 करोड़ रूपए के मूल्य तक पहुंच गया है।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button
Close