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रायपुर, 03 सितम्बर 2021 : राज्यपाल ने उच्च शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए एकजुट होने का किया आव्हान : राज्यपाल आई.सी.आर.आई.टी.ओ.-2021 अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस के उद्घाटन समारोह में वर्चुअल रूप से हुई शामिल

राज्यपाल ने इस अवसर पर प्रकाशित की जाने वाली स्मारिका का वर्चुअल विमोचन किया। विश्वविद्यालय द्वारा राज्यपाल को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। इस अवसर पर डॉ. अशोक चौहान, डॉ. अतुल चौहान, प्रोफेसर अजय राणा, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद् और विद्यार्थीगण उपस्थित थे।

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भारत युवाओं का देश है, यहां पर युवाओं की आबादी निरंतर बढ़ रही है। यह माना जाता है कि 2025 तक लगभग दो-तिहाई भारतीय इसमें शामिल होंगे। युवा देश की प्रगति में अधिक से अधिक योगदान दें, इसके लिए शिक्षा को उच्च गुणवत्तायुक्त बनाना होगा। इससे युवाओं को अच्छी शिक्षा प्राप्त होगी और इस प्रतिस्पर्धा के युग में मजबूत कर स्थान बना पाएंगे और राष्ट्र निर्माण में अधिक से अधिक योगदान दे पाएंगे। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कही। वे एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी, उत्तर प्रदेश नोएडा द्वारा आयोजित आई.सी.आर.आई.टी.ओ.-2021 अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस के उद्घाटन समारोह को वर्चुअली संबोधित कर रही थी। उन्होंने उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए एकजुट होने और सार्थक प्रयास करने का आव्हान किया।

राज्यपाल ने कहा कि भारत सरकार की नई शिक्षा नीति-2020 में सभी वर्गों को समावेशी शिक्षा देने, जेंडर इन्क्लूजन फंड बनाने पर भी विशेष जोर दिया गया है। शिक्षा नीति में राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन बनाने की बात कही गई है, जिससे विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा निजी विश्वविद्यालय को निर्देश दिया गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम करें और उसे जल्द लागू करें। मुझे बताया गया कि एमिटी विश्वविद्यालय में उच्चकोटि का अनुसंधान और इनोवेशन करने के प्रयास किये जा रहे हैं। यहां 1 लाख 75 हजार से अधिक विद्यार्थी और 02 लाख से अधिक भूतपूर्व विद्यार्थी हैं, जो आज अपने-अपने क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं। एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा कोविड-19 के दौरान ऑनलाइन शिक्षण का अच्छा कार्य किया गया है, यह सराहनीय है।
राज्यपाल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान अनेक शिक्षण संस्थानों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई। भारत में ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली बहुत शुरूआती चरण में है और अभी भी आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है। विश्व स्तर पर शीर्ष विश्वविद्यालयों द्वारा विभिन्न ऑनलाइन पाठ्यक्रम पेश किए जा रहे हैं, जबकि भारत में इस पद्धति का विकास उतने अच्छे तरीके से नहीं हो पाया है। इसलिए, जब तक हम पूरी तरह से ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली विकसित नहीं कर लेते, तब तक हमें एक लंबा रास्ता तय करना है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी, स्वयं, एन.आई.आर.एफ. और रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) आदि प्रारंभ किए गए हैं, जिससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और बेहतर हो सके। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने हाल ही में डिजिटल डिवाइड से निपटने और ऑनलाइन शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने और आगे बढ़ने के लिए शिक्षण के कई माड्यूल शुरू किए हैं। इनके जरिए विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे विशेष पाठ्यक्रम पढ़ाए जाएंगे। शिक्षकों के कौशल को बढ़ाने के लिए दीक्षा पोर्टल आदि प्रारंभ किए गए हैं। इसकेे अलावा अन्य शिक्षण प्लेटफार्मों का भी उपयोग किया जा रहा है।
राज्यपाल ने इस अवसर पर प्रकाशित की जाने वाली स्मारिका का वर्चुअल विमोचन किया। विश्वविद्यालय द्वारा राज्यपाल को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। इस अवसर पर डॉ. अशोक चौहान, डॉ. अतुल चौहान, प्रोफेसर अजय राणा, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद् और विद्यार्थीगण उपस्थित थे।

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