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राजस्थान: अलवर जन हुंकार रैली में लगे पोस्टरों से वसुंधरा का चेहरा गायब

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जयपुर
राजस्थान भाजपा की 5 मई को अलवर में हुई जन हुंकार रैली में पोस्टर पाॅलिटिक्स से सियासत गरमा गई है। हुंकार रैली में लगे पोस्टरों में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का चेहरा गायब था। पोस्टरों में पीएम मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया को जगह मिली है।  इससे पहलो भी करीब 8 महीने पहले भाजपा प्रदेश कार्यालय में वसुंधरा राजे के फोटो लगे पोस्टरों को हटा लिया थ। इससे वसुंधरा समर्थक नाराज हो गए थे। विवाद बढ़ता देख वसुंधरा को बयान देना पड़ा था। वसुंधरा राजे ने कहा था कि वह पोस्टरों में नहीं जनता के दिलों में रहना चाहती है।  कागजों और पोस्टरों में रहने से कुछ होने जाने वाला नहीं है। मुझे तो लोगों के दिलों में राज करना है। ऐसा करना है जिससे लोग याद रखें।

जन हुंकार रैली से वसुंधरा राजे ने बनाई दूरी
दरअसल, राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से पूर्व विभिन्न धड़ों में बंटी भाजपा का एक गुट चुनाव से पहले सीएम चेहरा घोषित करने की मांग कर रहा है। वसुंधरा समर्थकों का कहना है कि पूर्व सीएम राजे को चेहरा घोषित नहीं करने पर पार्टी को नुकसान होगा। जबकि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नेड्डा ने स्पष्ट कर दिया है कि पीएम मोदी के चेहरे पर ही विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने रैली से दूरी बनाकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है। रैली में प्रदेश भाजपा के बड़े नेता शामिल हुए। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर चल रही खींचतान की वजह से राजे ने रैली से दूरी बना ली है। वसुंधरा समर्थक इसलिए नाराज है कि हुंकार रैली में लगे पोस्टरों से वसुंधरा का चेहरा गायब रहा। पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रदेश भाजपा की गुटबाजी से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा नाराज बताए जा रहे हैं। जेपी नड्डा 10 और 11 मई को प्रदेश भाजपा नेताओं के साथ बैठक करेंगे। बैठक में एकजुट रहने की नसीहत दे सकते हैं। राजस्थान के भाजपा नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री का चेहरा पार्टी आलाकमान ही तय करेगा। मुख्यमंत्री चेहरे के लिए आधा दर्जन नेता अपनी दावेदारी जता रहे हैं।

पूनिया और वसुंधरा में मनमुटाव जगजाहिर
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के बीच मनमुटाव काफी अरसे से चल रहा है। लेकिन अलवर में भाजपा की जन हुंकार रैली से भाजपा नेताओं की लड़ाई खुलकर सामने आ गई है। वसुंधरा राजे ने रैली से दूरी बना ली। वसुंधरा रैली में लगे पोस्टरों से भी गायब रही। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद भी दोनों खेमों में सुलह के आसर नहीं दिखाई दे रहे हैं। बताया जाता है कि वसुंधरा राजे के 8 मार्च को जन्मदिन पर हुए शक्ति प्रदर्शन से प्रदेश के बड़े नेता नाराज बताए जा रहे हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि विवाद की जड़ वसुंधरा राजे का शक्ति जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन है। वजह चाहे जो भी लेकिन इतना तय गुटबाजी और आपसी खींचतान की वजह से पार्टी को विधानसभा चुनाव 2023 में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। 

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