मैपकास्ट: रिमोट सेंसिंग सेंटर में तीन दर्जन वैज्ञानिकों को सिर्फ बैठने की मिलेगी सैलरी
भोपाल
मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकास्ट) के रिमोट सेसिंग एप्लीकेशन सेंटर के हेड में जीरो बजट रखा गया है। जबकि पूर्व में सेंटर को पांच से छह करोड़ रुपए का बजट मिलता रहा है। इससे सेंटर में कार्य करने वाले करीब दो दर्जन वैज्ञानिकों के हाथ में कोई कार्य नहीं बचा है। उन्हें शासन सिर्फ मैपकास्ट में बैठने का वेतन देगा। इसकी वजह विभाग में पदस्थ दो आईएएस अधिकारियों का वैज्ञानिकों से मोहभंग होना है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव एम सेलवेंद्रम और एमपीएससीडीसी में सीईओ नंद कुमारन ने मैपकास्ट की प्रतिष्ठा को खत्म करना शुरू कर दिया है। इसके चलते सेलेवेंद्रम ने मैपकास्ट के रिमोट सेंसिंग के हेड में आने वाले बजट को एमपीएसईडीसी के सीईओ नंद कुमारन को देना शुरू कर दिया है। इससे मैपकास्ट के रिमोट सेंसिंग सेंटर में कोई कार्य नहीं बचा है। जबकि सेंटर में करीब तीन दर्जन वैज्ञानिकों के पास कोई कार्य नहीं बचा है। इससे मैपकास्ट को होने वाली आय तक खत्म कर दी गई है। एजेंसी फॉर प्रमोशन आॅफ इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी (मैपआईटी) का विघटन कर इसे इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम (एमपीएसईडीसी) में मर्ज कर दिया गया है।
मैपकास्ट में पदस्थ डॉ. संदीप गोयल को एमपीएसईडीसी में लेने के लिए एडिशनल डायरेक्टर का पद पृथक से तैयार किया गया है। जबकि एमपीएसईडीसी के सिस्टम में इस प्रकार कोई पद ही नहीं है। इसी तरह मैपकास्ट से और वैज्ञानिकों को एमपीएसईडीसी में लाने की कवायद जारी है।
मैपकास्ट राज्य के सभी विभागों से कार्य करने के लिए भुगतान लेता था, जिससे विभाग को काफी आय होती थी। इससे वैज्ञानिकों के वेतन का भार शासन पर नहीं आता था, लेकिन विभाग ने मैपकास्ट की जगह मैपआईटी को सभी विभागों का रिमोट सेंसिंग कार्य दिलाना शुरू कर दिया है। इससे उन्हें एमपीएसईडीसी को कोई भुगतान नहीं करना होता है। वहीं एमपीएसईडीसी संविदा पर रखे लोगों को मानदेय देने के लिए शासन से बजट ले रहा है। विभाग अपने वरिष्ठ वैज्ञानिकों को सेंटर में बैठकार मानदेय देकर संविदा पर नियुक्त लोगों से नि:शुल्क में सेवाएं दे रहा है। इससे शासन को डबल नुकसान हो रहा है।
सम्पूर्ण प्रदेश में भूगर्भीय प्राकृतिक सम्पदा की खोज, जल संसाधनों के सुनियोजित उपयोग के लिए समुचित अध्ययन, कृषि एवं मृदा, भूमि उपयोगिता एवं नगरीय सर्वेक्षण, वन सम्पदा में बढ़ोतरी, गांव स्तर तक पेयजल एवं कृषि योग्य जल उपलब्धता संबंधी अध्ययन तथा प्रमुख नदियों में प्रदूषण निम्नीकरण की दिशा में आंकड़े उपलब्ध कराना मैपकास्ट के रिमोच सेंसिंग की प्रमुख गतिविधियां रही है।