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मुनव्वर राणा ने बताया क्यों योगी के जीतने पर UP नहीं छोड़ा

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लखनऊ
दोबारा योगी सरकार बनने पर उत्तर प्रदेश छोड़ कर चले जाने का ऐलान कर चुके मशहूर शायर मुनव्वर राणा एक बार फिर चर्चा में हैं। उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ की मां के साथ तस्वीर शेयर करते हुए अपना एक शे'र लिखा है। इस बीच मुनव्वर राणा ने लाइव हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा है कि अखबार में उन्हें यह तस्वीर देखकर बहुत अच्छा लगा। मुनव्वर राणा ने कहा कि खराब सेहत की वजह से वह यूपी छोड़कर नहीं जा पाए जैसा कि उन्होंने ऐलान किया था। योगी सरकार के फैसलों की तीखे शब्दों में आलोचना करते रहे शायर ने धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतरवाने को अच्छा कदम बताया है।

मुनव्वर राणा ने बताया कि वह फिलहाल लखनऊ में ही हैं। सीएम योगी की मां के साथ तस्वीर साझा करने को लेकर उन्होंने कहा, ''आज सुबह आमतौर पर आप चाय के मजे और अखबार की बुरी खबरों से शुरू होती है। सुबह जब मैंने सोशल मीडिया पर योगी जी की तस्वीर देखी उनकी मां के साथ। मुझे अच्छा लगा। मैं अपनी मां को खो चुका हूं। मुझे खुशनसीब लगते हैं वे लोग जिनके हिस्से में मां होती है। मैंने 50 साल से इसी इबादत (मां पर शायरी) में अपनी जिंदगी गुजार दी। मुझे वह तस्वीर अच्छी लगी तो मैं खुद को रोक नहीं पाया तो मैंने योगी जी को अपनी शायरी ट्वीट कर दिया।''

'कलकत्ते में देख लिया था फ्लैट, अब डायलिसिस पर'
मुनव्वर राणा ने सियासत से पल्ला झाड़ते हुए कहा, ''मेरा सियासत से कोई लेना देना ही नहीं रहा। यह तो मुफ्त में लोगों ने खासतौर पर मीडिया ने इधर का उधर, उधर का इधर करके मुझे विवादित बना दिया। दूसरी बात मैंने उत्तर प्रदेश छोड़ने का इरादा कर लिया था। मेरी उम्र का एक हिस्सा कलकत्ते में गुजरा था, मैंने वहां एक फ्लैट के लिए बातचीत भी की थी। सोच रहा था कि चला जाऊं। यह मेरी बदनसीबी है कि मैं डायलिसिस पर चल रहा हूं। हर तीन दिन बाद मुझे उठाकर ले जाया जाता है।''
 
'जख्मी का मजहब नहीं होता, हिम्मत हारकर सोचा इस मिट्टी को क्या छोड़ना'
राणा ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ''जब मक्का गया था, वहां मेरे एक दोस्त थे, दूतावास में, उन्होंने बताया कि किसी गैर मुस्लिम हिन्दुस्तानी की दुर्घटना हो गई है, उन्हें मक्का लाया गया था, मैंने कहा था कि यहां तो कोई आ नहीं सकता है गैर मुस्लिम? तो उन्होंने कहा था कि जख्मी का कोई मजहब नहीं होता है। वही सूरत-ए-हाल मेरी है। अब हम इस हाल में हैं। इस बुढापे में कौन साथ देगा? सब अपनी-अपनी दुनिया में हैं। एक बेटा है, वह अपना देखेगा कि हमें देखेगा। इसलिए हमने हिम्मत हार के सोचा कि इस मिट्टी को क्या छोड़ना। इसी रायबरेली की मिट्टी में साढ़े पांच सौ साल-पौने छह सौ साल से हमारे बुजुर्गों की कब्रे हैं। पिछले सरकार में जो प्रशासन ने मेरे साथ सलूक किया था, जिस तकलीफ से मैं गुजरा मुझे वही कहना चाहिए था, जो मैंने कहा।''

लाउडस्पीकर विवाद पर योगी सरकार की तारीफ
लाउडस्पीकर विवाद पर मुनव्वर राणा ने कहा, ''40-42 साल पहले यह विवाद शुरू हुआ था। उस समय कलकत्ते में सबसे बड़ी मस्जिद के अजान को लेकर एक पड़ोसी मुसलमान ने ही शिकायत की थी कि उनकी मां बीमार हैं, हार्ट की पेशेंट हैं, दिक्कत होती है। एक समुदाय नाराज हो गया, जैसे आज होते हैं। सिया, सुन्नी, देवबंदी सबका मानना है कि अजान के लिए माइक्रोफोन की जरूरत नहीं है। अजान पहले आई, माइक्रोफोन तो बाद में आया। इबादत यदि शोर में बदल जाए तो यह तकलीफदायक होती है।'' उन्होंने कहा कि यदि सड़क पर नमाज बंद हो गई है तो योगी जी मस्जिदों को फ्लोर बनाने की इजाजत दें।

'यह फैसला अच्छा है, कायम रखे सरकार'
मुनव्वर राणा ने कहा कि इस्लाम का सियासत और शोर से कोई ताल्लुक नहीं है। सभी समुदायों के धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटवाने पर उन्होंने कहा, ''यह फैसला अच्छा है, दोनों समुदाय को इस पर कायम रहना चाहिए और दोनों को कायम रखना भी चाहिए। यह सरकार का काम है। बहुत से मस्जिदों में बहुत जोर से अजान होती है कि तकलीफ होती है, इसी तरह जैसे हनुमान चालीसा, वह भी तकलीफदायक है, जाहिर सी बात है इबादत यदि शोर में बदल जाए तो वह इबादत नहीं, परेशान करना हुआ।''

 

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