ग्वालियरमध्य प्रदेश

मंत्रियों के दौरे के वावजूद श्योपुर में अभी तक नहीं मिली सैकड़ों बाढ़ पीड़ित परिवारों को सहायता

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श्योपुर
मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का दौरा हो चुका, मंत्रियों का दौरा हो चुका, प्रशासनिक अधिकारियों का दौरा हो चुका और बाढ़ का पानी भी उतर चुका, लेकिन, हालात ये हैं कि अभी भी सैकड़ों परिवारों के लिए जीना मुश्किल है. इन्हें न तो राहत सामग्री मिल सकी है और न ही सहायता राशि. सहायता वहीं मिली है, जहां मुख्यमंत्री खुद गए या जो उन इलाकों में, जहां जनप्रतिनधियों की सीधी पहुंच है. इन लोगों को राजस्थान के समाजसेविओं से सहायता मिल रही है. कलेक्टर का कहना है कि मुआवजे देने का काम तेज गति से किया जा रहा है.

श्योपुर में बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा राशि वितरण करने के लिए अधिकारी युद्ध स्तर पर कार्य करने का दावा कर रहे हैं. सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों को 50 किलो अनाज, 5 हजार रूपए सहायता राशि, तंबू तैयार करने के लिए 6 हजार रुपए की राशि और कई लोगों को भवन निर्माण के लिए 95 हजार रुपए की राशि देने का दावा किया जा रहा है. लेकिन, वास्तविकता है कि ये सहायता राशि सिर्फ उन्हीं शहरी व ग्रामीण बाढ़ पीड़ितों को दी गई है जहां मुख्यमंत्री से लेकर दूसरे दिग्गजों के दौरे हुए. या फिर, जो इलाके जनप्रतिनिधियों के सीधे संपर्क में हैं.

मुआवजा और सर्वे का काम अभी भी चल रहा है. लेकिन, उन सैकड़ों परिवारों को 5 हजार रुपये की सहायिता राशि तक नहीं मिल सकी है, जो बेघर होकर सड़कों पर आ गए हैं. ऐसी सूरत में वह  बेहद परेशान हैं और अधिकारियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि बाढ़ के बाद राशन से लेकर अन्य जो भी मदद उन्हें मिली है वह राजस्थान के समाजसेवियों द्वारा ही मुहैया कराई गई है. प्रशासन की तरफ से उन्हें कोई भी मदद नहीं मिली है. कुछ को यह मदद मिली भी है तो वह बहुत कम है.

ललितपुरा गांव की कैलाशी बाई और गीता बाई बताती हैं कि बाढ़ के बाद राजस्थान और श्योपुर जिले के समाजसेवियों ने युद्ध स्तर पर सहायता दी. उन्होंने गांव-गांव और घर-घर जाकर लोगों को राहत सामग्री दी. अगर जिला प्रशासन के अधिकारी भी उसी रफ्तार से काम करते तो एक भी बाढ़ पीड़ित सहायता से वंचित नहीं रहता. वीरपुर के दिमर्छा, जिला मुख्यालय की डॉक्टर कॉलोनी, बंजारा डैंम के पास की हसनपुर हवेली बस्ती और मानपुर इलाके के कई गांवों से लेकर विजयपुर व अगरा इलाके के सैकड़ों परिवारों को यह राशि अभी तक नहीं दी गई है. इससे लोग अपने बच्चों की गुजर-बसर के लिए परेशान होने को मजबूर हैं.

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