छत्तीसगढ़

भिलाई नगर निगम क्षेत्र में मिले कुष्ठ के 53 नए मरीज

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दुर्ग
कुष्ठ मुक्त जिला बनाने के संकल्प को लेकर मेरा ग्राम-कुष्ठ मुक्त ग्राम बनाने के लिए विशेष कुष्ठ खोज अभियान-2021 के तहत भिलाई नगर निगम क्षेत्र के शहरी आबादी में स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर दस्तक दे रहे हैं। अभियान के तहत मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं द्वारा पुरेना, डबरी पारा, खुसीर्पार, बाबू नगर, शिवाजी नगर, गौतम नगर, शारदा पारा, संतोषी पारा, गुरुनानक नगर, वैशाली नगर, जुनवानी, स्मृति नगर, छावनी, राजीव नगर, गुरु घासीदास नगर, रुआबांधा, स्टेशन मरौदा व रिसाली के सभी घरों में डोर-टू-डोर सर्वे पूरा कर लिया है। भिलाई के शहरी क्षेत्र के 1.22 लाख घरों में मितानिनों के द्वारा कार्ड के माध्यम से घर के मुखिया के द्वारा 165 संदिग्ध मरीजों की पहचान की गयी है जिसमें से जांच के बाद कुष्ठ के प्रभावित 31 पीबी एवं 22 एमबी सहित कुल 53 मरीजों की पहचान की गई है। पिछले 23 जुलाई से शुरू हुआ सर्वेक्षण 5 सितंबर तक चलेगा इस दौरान भिलाई शहरी क्षेत्र में वर्तमान में सेक्टर एरिया के स्लम बस्तियों में कुष्ठ सर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है। इसके बाद चरौदा व दुर्ग नगर निगम में कुष्ठ खोज सर्वे किया जाएगा।

जिला कुष्ठ नियंत्रण अधिकारी डॉ. अनिल कुमार शुक्ला ने बताया कि शरीर में विकृति आने से पूर्व कुष्ठ रोग की जांच व इलाज कराना जरुरी है। कुष्ठ रोग से संबंधित लक्षणों की पहचान के लिए फ्लिप कार्ड प्रत्येक परिवारों को वितरण किया जा रहा है। इसके बाद इस कार्ड के माध्यम से 3 दिन तक परिवार के मुखिया के द्वारा सभी सदस्यों की जांच की जा रही है। डॉ शुक्ला ने बताया, इस कार्ड के माध्यम से चिहांकित व्यक्ति की पहचान होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम एनएमए व एनएमएस द्वारा स्क्रीनिंग कर कुष्ठ रोगी का सत्यापन कराकर दवाई उपलब्ध करायी जा रही है। आगामी वर्ष-2023 तक प्रदेश को कुष्ठ मुक्त बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभियान को अब साल में दो बार चलाया जा रह है इस दौरान सर्वे कर प्रत्येक व्यक्ति की जांच की जाती है।

डॉ शुक्ला ने बताया कि इस अभियान को पूरा करने के लिए सभी नागरिकों, जनप्रतिनिधियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं का पूरा सहयोग लिया जा रहा है। जिले को कुष्ठ मुक्त बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड?े की लोगों से अपील की जा रही है। समाज में कुष्ठ प्रभावित व्यक्तियों के साथ भेदभाव को समाप्त कर समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाएगा। अंधविश्ववास व अज्ञानता की वजह से लोगों में भ्रांति आज भी है। समाज में लंबे समय तक कोढ़ की बीमारी को शाप या भगवान द्वारा दिया गया दंड माना जाता रहा है लेकिन ऐसा है नहीं है। आज के समय में कुष्ठ रोग लाइफस्टाइल और पोषण की कमी से जुड़ी एक समस्या है। जिनके शरीर में पोषण की कमी और रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर कुष्ठ से ग्रसित होता है। कुष्ठ रोग कोई भी व्यक्ति व आयु उम्र के किसी अंग में हो सकता है। यह रोग शरीर में किसी भी तरह का दर्द, खुजली का अहसास नहीं कराता है। इस वजह से इसकी पहचान व दाग धब्बों को लेकर लापरवाही की वजह से इलाज नहीं कराने पर 2 से 3 साल बाद शरीर में विकृतियां आ जाती है। इस बीमारी के प्रति जागरुकता ही सबसे बड़ा बचाव है।

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