भोपालमध्य प्रदेश

प्राचार्य चलाएंगे कॉलेज, जैन ने छोड़ा प्रभार, शिवानी को मिली हमीदिया की जिम्मेदारी

Spread the love

भोपाल
उच्च शिक्षा विभाग प्रोफेसरों की अंतिम वरिष्ठता सूची को जारी नहीं कर सकता है। इसमें जहां सीधी भर्ती और पदोन्नति ने मामला उलझा रखा है। वहीं आरक्षण का प्रतिशत फाइनल नहीं होने के कारण विभाग को प्रोफेसरों को प्राचार्य बनाने में काफी परेशानी आ रही है। इसलिए विभाग ने आरक्षण और वरिष्ठता को नजरअंदाज कर ट्रेंड प्रोफेसरों को प्राचार्य बनाएगा। इसके लिए करीब दो हजार प्रोफेसरों टेंÑड कर दिया गया है।

विभाग प्रोफेसरों की अंतिम सूची करता है, तो प्रोफेसर हाईकोर्अ में सूची के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर देते हैं। वहीं आरक्षण लागू करने का मामला सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों पर छोड़ रखा है। इसके बाद भी शासन प्रोफेसरों को पदोन्नति देकर प्राचार्य बनाने की गुत्थी को नहीं सुलझा पा रहा है। इसलिए चयनित दो हजार प्रोफेसरों को प्रशासन अकादमी से ट्रेनिंग दी जा चुकी है। अब उन्हें प्राचार्य बनाया जाएगा। वर्तमान में प्रदेश के 516 यूजी-पीजी कालेज में से सिर्फ 43 प्राचार्य नियमित हैं। इसमें से तीन भोपाल में पदस्थ हैं, जिसमें स्टेट लॉ कालेज सुध बैसा और भेल कालेज में मथुरा प्रसाद पदस्थ हैं। शेष 473 कालेजों में वरिष्ठ प्रोफेसरों को प्राभारी प्राचार्य बनाकर पदस्थ किया गया है। हमीदिया कालेज के प्राचार्य पीके जैन सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इसलिए उन्होंने अपना प्रभारी प्राचार्य का दायित्व छोड़ दिया है। अनिल शिवारी को प्रभारी प्राचार्य नियुक्त किया गया है।

478 कॉलेजों में विभाग ने वरिष्ठ प्रोफेसर के अलावा जूनियर प्रोफेसर को प्रभारी प्राचार्य नियुक्त किया है। इससे कालेजों में आए दिन विवाद होते हैं। वहीं कई कॉलेजों में वरिष्ठ प्रोफेसर प्रभारी प्राचार्य रहना नहीं चाहते हैं। इसलिए विभाग को कई वरिष्ठ प्रोफेसरों ने प्रभारी प्राचार्य का पद छोड़ने के लिए आवेदन तक किए हैं।

रुसा ने दो हजार 50 प्रोफेसर को टेÑनिंग दे दी है। इसमें कुछ ऐसे प्रोफेसर भी शामिल हैं, जो कुछ महिनों में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसमें दस फीसदी एमपीपीएससी से सीधी भर्ती होकर आए करीब 200 प्रोफेसर भी शामिल हैं। अब टेÑनिंग ले चुके सभी प्रोफेसरों को विभाग कालेज में प्रभारी प्राचार्य नियुक्त करेगा। ट्रेनिंग के दौरान उन्हें वित्तीय, आचरण नियम सहित अन्य व्यवस्थाओं से टेंÑड किया गया है, ताकि उन्हें कॉलेजों में कार्य करने में कोई परेशानी नहीं आए।

नियमित पीजी प्राचार्य को तीन हजार और डिग्री प्राचार्य को दो हजार रुपए का विशेष भत्ता दिया जाता है। प्रभारी प्राचार्य को उक्त भत्ते की पात्रता नहीं होती है, लेकिन उन्हें प्राचार्य का पदनाम जरूर मिल जाएगा। इससे विभाग को करोड़ों रुपए की बचत भी होगी।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button
Close