पेंशनर की महंगाई राहत पर MP-CG में नहीं बन पा रही सहमति

भोपाल
पौने पांच लाख पेंशनर की महंगाई राहत 14 प्रतिशत बढ़ाने पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सहमति नहीं बन पा रही है। वित्त विभाग ने छत्तीसगढ़ को प्रस्ताव भेजा था कि कर्मचारियों की तरह ही पेंशनरों की महंगाई राहत में 14 प्रतिशत की वृद्धि की जाए, लेकिन वहां से सहमति नहीं मिली। अब दोबारा सहमति प्राप्त करने के लिए पत्र भेजा जा रहा है। मालूम हो कि शिवराज कैबिनेट कर्मचारियों की तरह पेंशनर को 31 प्रतिशत महंगाई राहत देने का निर्णय कर चुकी है। मध्य प्रदेश में कर्मचारियों को 31 प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए) मिल रहा है जबकि पेंशनर को यह 17 प्रतिशत ही है।
अक्टूबर 2021 में जब सरकार ने कर्मचारियो का महंगाई भत्ता 12 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया था, तब भी पेंशनर की महंगाई राहत में आठ प्रतिशत की वृद्धि प्रस्तावित की थी। छत्तीसगढ़ को वित्त विभाग ने सहमति के लिए प्रस्ताव भेजा था, लेकिन पांच प्रतिशत वृद्धि पर ही सहमति बनी। तब से पेंशनर को 17 प्रतिशत महंगाई राहत ही मिल रही है। इस बीच शिवराज सरकार ने मार्च 2022 के वेतन से डीए और डीआर में 11 प्रतिशत की वृद्धि कर दी। कर्मचारियों को इसका लाभ मिलने लगा है, लेकिन पेंशनर को अब भी छत्तीसगढ़ की सहमति का इंतजार है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पिछले सप्ताह छत्तीसगढ़ ने 14 प्रतिशत डीआर में वृद्धि पर यह कहते हुए सहमति नहीं दी कि वे अपनी वित्तीय स्थिति को देखते हुए निर्णय लेंगे। इसका असर प्रदेश के पौने पांच लाख पेंशनर पर पड़ रहा है। इसे देखते हुए वित्त विभाग ने फिर सहमति के लिए पत्र भेजने का निर्णय लिया है। उधर, पेंशनर एसोसिएशन मध्य प्रदेश के उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी का कहना है कि हम लगातार दोनों सरकारों से मांग कर रहे हैं कि वे इस समस्या का स्थायी समाधान निकालें। केंद्र सरकार भी इसके लिए दोनों राज्यों से कह चुकी है, पर कोई भी पहल नहीं कर रहा है।