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पद्मभूषण राजन मिश्र का कोरोना से दिल्ली में निधन

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 नई दिल्ली वाराणसी 
पद्मभूषण राजन साजन मिश्र की जोड़ी टूट गई है। कोरोना से रविवार को राजन मिश्र का दिल्ली में निधन हो गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें वेंटीलेटर नहीं मिल सका। करीब 6:30 बजे के आसपास उन्होंने अंतिम सांस ली। इससे पहले रविवार की सुबह पंडित राजन मिश्रा की हालत गंभीर हुई थी। दिल्ली के सेंट स्टीफंस अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। बताया जा रहा है कि राजन मिश्रा को कोरोना के साथ हृदय की भी कुछ समस्या आई थी। ट्विटर पर कुछ लोगों ने उनके लिए एक बेड और ऑक्सीजन की मदद मांगी। फिर आईएएस अधिकारी संजीव गुप्ता की कोशिश के बाद पंडित राजन मिश्रा को दिल्ली के सेंट स्टीफंस अस्पताल में दाखिला मिल गया।

पवन झा नाम से एक ट्विटर यूजर ने पंडित राजन मिश्रा के लिए मदद की गुहार लगाई थी। इसके जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आईएससीएस के सचिव संजीव गुप्ता ने एक ट्वीट में लिखा, मुझे किसी तरह से अस्पताल के कोविड इंचार्ज डॉ. जॉन का नंबर मिला। ज्यादा-से-ज्यादा ऑक्सीजन देकर वे लोग अपना बेहतर देने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल अस्पताल में वेंटिलेटर के साथ आईसीयू बेड उपलब्ध नहीं है। कृपया मुझे उनका बेड नंबर भी दे दें। आपने जो फोन नंबर दिया था, वो लगातार व्यस्त बता रहा है।

जानिए कौन हैं राजन मिश्रा
राजन मिश्रा भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे। इन्हें सन 2007 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इनका संबंध बनारस घराने से था। उन्होंने 1978 में श्रीलंका में अपना पहला संगीत कार्यक्रम दिया और इसके बाद उन्होंने जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, यूएसएसआर, सिंगापुर, कतर, बांग्लादेश समेत दुनिया भर के कई देशों में प्रदर्शन किया।

राजन और साजन मिश्रा की जोड़ी थी प्रसिद्ध
राजन और साजन मिश्रा दोनों भाई थे और साथ में ही कला का प्रदर्शन करते थे। दोनों भाइयों ने पूरे विश्व में खूब प्रसिद्धी हासिल की। पंडित राजन और साजन मिश्रा का मानना था कि जैसे मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है, वैसे ही संगीत के सात सुर ‘सारेगामापाधानी’ पशु-पक्षियों की आवाज से बनाए गए हैं।   वहीं कुछ वर्षों पहले दोनों भाइयों ने कहा था कि आपदा के लिए प्रकृति नहीं हम जिम्मेदार हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि हर  इंसान को अपनी मानसिकता बदलनी ही होगी और प्रकृति का साथ देना होगा।

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