नर्सिंग होम की मनमानी, खतरनाक है यह लापरवाही, कलेक्टर से की शिकायत
विदिशा
अधिकांश प्रायवेट नर्सिंग होम एवं डिस्पेंसरी से निकलने वाले मेडिकल के कचरे के निष्पादन के इंतजाम नहीं हैं। जिसके चलते इस कचरे को सड़क पर या फिर नगरपालिका के कचरा वाहन में डाला जा रहा है। जो यह खतरनाक साबित हो सकता है। इस मामले को अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने उठाया है। कलेक्टर से इसकी शिकायत भी की है।
ग्राहक पंचायत द्वारा दिए गए आवेदन में कहा गया सड़कों पर फेंके जाने वाले इस मेडिकल कचरे को जानवरों द्वारा इधर-उधर फैला देते हैं। जिसके चलते संक्रमण का खतरा बना रहता है। ग्राहक पंचायत ने कहा कि निजी अस्पतालों का जैविक कचरा पुराने जिला चिकित्सालय ब्लैड बैंक के पीछे प्रतिदिन फैका जा रहा है। इस खतरनाक मेडिकल वेस्ट कचरे पर सख्ती के साथ रोक लगाना जरूरी है।
यह है नियम जिसका नहीं होता है पालन: मेडिकल वेस्ट के निष्पादन के लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल सहित शासन द्वारा नियमावली तय की गई है। जिसमें नर्सिंग होम में इंसीनरेटर सहित विशेष बैग में कचरा डालने हेतु नियम तय किए गए हैं। लेकिन जिले में इस नियमावली का अनुपालन नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति शहर के अधिकांश नर्सिंग होम और डिस्पेंसरी में बनी हुई है। इनके आसपास बड़े पैमाने पर यह कचरा पड़ा रहता है। वहीं जिले के अन्य शहरों में भी यही हालात हैं। गा्रहक पंचायत ने कलेक्टर को दिए गए आवेदन में मांग करते हुए उचित दिशा- निर्देश के साथ कार्यवाही करने की मांग की है। इस दौरान गा्रहक पंचायत के महेन्द्रसिंह रघुवंशी, दिनेश मालवीय विनोद के. शाह, मनीष कुशवाह आदि शामिल हैं।
गा्रहक पंचायत ने मंगलवार को निजी अस्पतालों द्वारा जिले की सड़कों पर फैके जाने वाले खसकर जिला मुख्यालय पर पुराना अस्पताल के पीछे पड़े मेडिकल वेस्ट ने यहां के निवासियों और इस मार्ग से गुजरने वाले की चिंता को बढा दिया। मेडिकल जानकारों की माने तो यह जैविक कचरा हाईली इंफेक्ट्रेट होता है। जिसमें तेजी से संक्रमण फैलने की संभावना प्रबल बनी रहती है। सड़क पड़े इस मेडीकल वेस्ट को इस मार्ग पर मवेशी द्वारा यहां-वहां फैलाते आसानी से देखा जा सकता है। जिससे संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है। मेडिकल जानकारों के अनुसार इस कचरे में पस,ब्लेड होने से इसमें अनेक बैैक्टीरिया रहते हैं।