अलमाटी
ओलंपिक में भारत की नई आस रवि कुमार दहिया ने एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में अपना खिताब कायम रखा है लेकिन बजरंग पुनिया कोहनी की चोट के कारण जापान के अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी ताकुतो ओटोगुरो के खिलाफ फाइनल में नहीं उतर सके और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। करण ने 70 भारवर्ग में कांस्य पदक जीता। करण ने रेपचेज राउंड में कोरिया के सुंगबोंग ली को 3-1 से हराया।
रवि दहिया ने फ्री स्टाइल वर्ग में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। उनका शानदार स्टेमिना और लगातार आक्रमण करने की नीति प्रतिद्वंद्वियों पर भारी पड़ी। एक साल बाद वापसी करने वाले रवि ने फाइनल में ईरान के अलीरेजा नोसरातोलाह सरलॉक को 9-4 से हराया। इससे पहले उन्होंने पहले दौर में उज्बेकिस्तान के नोदिरजोन सफरोव को 9-2 से हराया। इसके बाद उन्होंने फलस्तीन के अली एम एम अबुयमैला को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी।
बजरंग को 65 भारवर्ग के फाइनल तक के अपने सफर में कोई मुश्किल नहीं हुई। शुरुआती मुकाबले में उन्हें कोरिया के योंगसियोग जियोंग पर जीत दर्ज करने में कोई परेशानी नहीं हुई। उन्होंने पहले दांव पर पलटवार करते हुए अंक बटोरे और फिर प्रतिद्वंद्वी के अति रक्षात्मक रुख के कारण उन्हें अंक मिला। इसके बाद उन्होंने मंगोलिया के बिलगुन सरमानदाख को हराकर फाइनल में प्रवेश किया। बजरंग 2018 की विश्व चैंपियनशिप के फाइनल और पिछले साल एशियाई चैंपियनशिप के फाइनल में जापान के इसी खिलाड़ी ताकुतो से हार गए थे।
बजरंग ने कहा कि वह इसलिए फाइनल में नहीं उतरे क्योंकि इससे उनकी चोट और बढ़ सकती थी। उन्होंने बताया कि क्वार्टर फाइनल मुकाबले के दौरान उन्हें कोहनी में दर्द होना शुरू हो गया था। यह वही कोहनी है जिसमें विश्व चैंपियनशिप के दौरान चोट लगी थी। प्रशिक्षकों ने मुझे सलाह दी कि ओलंपिक नजदीक हैं, ऐसे में मुकाबले में उतरकर जोखिम लेना सही नहीं होगा।
नरसिंह पंचम यादव (74 किग्रा) और सत्यव्रत कादियान (97 किग्रा) सेमीफाइनल में हार गए और अब कांस्य पदक के लिए मुकाबला करेंगे। कादियान ने किर्गीस्तान के अर्सलानबेक तुरदुबेकोव को 8-0 से हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया और फिर उज्बेकिस्तान के मुखमादरासुल रखिमोव को 4-1 से पराजित किया लेकिन सेमीफाइनल में वह ईरान के अली खलील से महज 25 सेकंड में हार गये।