देश

तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद का सुराग नहीं, देश के कई हिस्सों में तलाश

Spread the love

 
नई दिल्ली 

 तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है. देश के कई हिस्सों में पुलिस टीम तलाशी में जुटी हुई है. मौलाना के साथ ही उसके 6 साथियों को भी पुलिस खोज रही है, जिनके खिलाफ निजामुद्दीन थाने में केस दर्ज किया गया है. पूरे मामले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही है

दरअसल, दिल्ली में बुधवार तक कोरोना मरीजों का आंकड़ा 152 तक जा पहुंचा, जिनमें 32 केस सिर्फ बीते 24 घंटे में बढ़े हैं. दिल्ली सरकार का कहना है कि कुल 152 कोरोना मरीजों में 53 का कनेक्शन तबलीगी जमात से है. जमात के जलसे में करीब 6 हजार लोग शामिल हुए थे. कई प्रदेशों में जमात में शामिल लोग कोरोना पॉजिटिव निकले हैं.
 
अब तक 5 हजार जमातियों को ढूंढा गया
तबलीगी जमात के मरकज पर देश के अलग- अलग राज्यों में गए. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, असम, मेघालय, अंडमान समेत तमाम राज्य सरकारों ने जलसे में शामिल 5 हजार जमातियों को ढूंढ निकाला है.

मौलाना साद की तलाश तेज
इन्हें अलग- अलग राज्यों में क्वारंटीन कर दिया गया है, लेकिन अभी भी सैकड़ों ऐसे हैं जिन्हें ढूंढना बाकी है. मरकज के मौलाना साद के बारे में कहा जा रहा है कि वो दिल्ली ही छुपा बैठा है. दिल्ली में उसके दो घर हैं. एक हजरत निजामुद्दीन बस्ती और दूसरा जाकिर नगर में. तबलीगी जमात के मौजूदा अमीर मौलाना साद का विवादों से पुराना नाता है.

जबरन तबलीगी जमात के अमीर बन बैठे साद
1965 को दिल्ली में जन्मे मौलाना साद साल 2015 में जबरन तबलीगी जमात के अमीर बन बैठे थे. दरअसल 1995 में तबलीगी जमात के तीसरे अमीर मौलाना इनाम उल हसन कांधवली की मौत के बाद 10 सदस्यों की कमेटी बनाई गई. इसे शूरा कहा जाता है. तबलीगी जमात का कामकाज 2015 तक शूरा ही संभालती थी, लेकिन इस दौरान इसके तमाम सदस्यों का इंतकाल हो गया.

दो गुटों में बंट गया है तबलीगी जमात
लिहाजा 16 नवंबर 2015 को नए शूरा का गठन किया गया, लेकिन मौलाना साद ने नए शूरा को मानने से इंकार कर दिया और जबरन अमीर बन बैठे. तब से तबलीगी जमात पर मोहम्मद साद का ही कब्जा है. मौलाना साद की जोर जबरदस्ती के कारण निजामुद्दीन का मरकज दो गुटों में बंट गया. एक गुट मौलाना साद के समर्थकों का और दूसरा ग्रुप मौलाना ज़ुबैर के बेटों के समर्थकों का बन गया था. दोनों गुटों में झगड़ों के कारण पुलिस को भी कई बार दखल देना पड़ा.

Tags
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button
Close