छत्तीसगढ़

डॉ राजाराम त्रिपाठी को पर्यावरण-मित्र सम्मान 7 लाख वृक्षों का रोपण कर देखभाल भी कर रहे

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कोंडागांव
मां दंतेश्वरी समूह के डॉ राजाराम त्रिपाठी को जैविक तथा औषधीय पौधों की खेती तथा संरक्षण व संवर्धन में विगत ढाई दशक से किये जा रहे कार्यो को देखते हुए वक्ता मंच द्वारा उन्हें पर्यावरण मित्र के सम्मान से नवाजा गया। उन्हें इस सम्मान में दो लाख रुपए की राशि भी प्राप्त हुई जिसे डॉ त्रिपाठी ने सामाजिक संस्थाओं को दान देने की घोषणा की।

उल्लेखनीय है कि काली मिर्च, सफेद मूसली, स्टीविया की मीठी पत्तियों, इंसुलिन के पौधे व काला चावल आदि खेती में नित्य नवाचार कर सफलता हासिल करने वाले डॉ राजाराम त्रिपाठी तथा उनके मां दंतेश्वरी हर्बल समूह को इससे पूर्व भी राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके है।

आरबीएस स्विट्जरलैंड द्वारा दिया जाने वाला बेहद प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण-योद्धा में प्राप्त एक लाख की सम्मान राशि हलधर-सम्मान से प्राप्त एक लाख का चेक भी उन्हें राजस्थान सरकार ने उन्हें प्रदान किया था। सम्मान निधी में प्राप्त इन राशियों को डॉक्टर त्रिपाठी ने किसानों तथा आदिवासियों के उत्थान लिए कार्य कर रही अलाभकारी समाजसेवी संस्थाओं को भेट की। ।डॉक्टर त्रिपाठी देश के पहले किसान हैं जिन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ किसान का सम्मान तीन बार प्राप्त हो चुका है।

छत्तीसगढ़ राज्य की सामाजिक सांस्कृतिक तथा आर्थिक उत्थान में विगत कई दशकों से सतत कार्यरत विशिष्ट संस्था वक्ता मंच के तत्वावधान में उन्हें पर्यावरण-मित्र सम्मान प्रदान किया गया। इस सम्मान हेतु डॉ त्रिपाठी का चयन,उनके द्वारा प्रदेश के पर्यावरण के संरक्षण हेतु, बिना किसी सरकारी अथवा गैर सरकारी मदद के,केवल अपने बूते पर अब तक सात लाख से अधिक पौधों को लगाकर पाल पोस कर बड़ा करने की महती उपलब्धि हेतु प्रदान किया गया है। उन्होंने यह सात लाख पौधे गहन सर्वेक्षण करके उन्हीं क्षेत्रों में लगाए व लगवाए हैं,जहां वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण में असंतुलन पैदा हो रहा है। इन पेड़ों के ऊपर काली मिर्च की बेलें चढ़ाई जाएगी तथा पेड़ों के नीचे दुर्लभ विलुप्त प्राय अर्थात खतरे में पड़ी प्रजातियों की वनौषधियों का रोपण कर उनका संरक्षण संवर्धन भी किया जाएगा । इस बहुस्तरीय वृक्षारोपण के साथ अंतर्वर्ती बहुमूल्य वनौषधियों की खेती से आसपास के गांवों में निवास करने वाले छोटे आदिवासी किसान परिवारों ,विशेषकर आदिवासी महिलाओं का आर्थिक उन्नयन के जरिए स्वावलंबन तथा सशक्तिकरण भी होगा। डॉक्टर त्रिपाठी से भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आने वाले 3 सालों में उनके द्वारा ग्यारह लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।

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