डेड स्टोरेज से जुगाड़ से निकाल ली 30 सिलेंडर आक्सीजन
भोपाल
कोरोना मरीजों की जान बचाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इनोवेटिव आइडिया इस्तेमाल करने और जुगाड़ की तकनीक इस्तेमाल करने के निर्देश के बाद खंडवा में आक्सीजन के टैंकर के डेड स्टोरेज से तीन दिन की आक्सीजन निकाली गई। इस तकनीक की जानकारी कलेक्टर अनय द्विवेदी को टैंकर चालकों ने दी जिसका इस्तेमाल कर अतिरिक्त आक्सीजन हासिल की गई जो मरीजों की जान बचाने के काम आ रही है। अब आने वाले दिनों में खंडवा पहुंचने वाले टैंकरों में भी यही तकनीक अपनाई जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट के जरिये इस प्रयोग की सराहना करते हुए दोनों ही चालकों का धन्यवाद किया है।
कलेक्टर अनय द्विवेदी ने बताया कि आक्सीजन के मैनेजमेंट के लिए खंडवा में किए गए इंतजाम बेहतर हैं। इसलिए अब तक कोई दिक्कत कोरोना मरीजों को आक्सीजन मिलने में नहीं आई है। यहां जिन आक्सीजन प्लांट से एक घंटे में तीन 20 सिलेंडर निकाले जाते थे वहां से अब 60 सिलेंडर हर घंटे की आपूर्ति की व्यवस्था कर ली गई है। इसका परिणाम यह है कि जिले में निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए एक हफ्ते की आक्सीजन मौजूद है। इस बीच कल आए आक्सीजन टैंकर से आक्सीजन निकालने के दौरान टैंकर चालकों द्वारा दिए गए सुझाव से भी तीन दिन की 30 सिलेंडर आक्सीजन प्राप्त करने में सफलता मिली है।
कलेक्टर द्विवेदी ने बताया कि चालक जसविंदर सिंह और सुखचैन सिंह ने बताया कि अगर टैंकर के आगे के पहिये उठा दिए जाएं तो डेडस्टोरेज में पड़ी आक्सीजन काम में आ सकती है जिसकी रिफिलिंग कर मरीजों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। यह ठीक उसी तरह का डेड स्टोरेज होता है जैसे कि पानी के टैंकर में कुछ पानी डेडस्टोरेज में पड़ा रहता है। इसके बाद कलेक्टर ने इसकी सहमति दी और टैंकर को आगे की ओर से लकड़ी लगाकर सिर्फ 9 इंच उठाया गया और नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई की तीन दिन के खपत के बराबर आक्सीजन मिल गई।