बिलासपुर
राज्य में टोल प्लाजा द्वारा यात्रियों से की जा रही बदसलुकी और वसूली को लेकर मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। जिस पर शुक्रवार को हाईकोर्ट की डबल बैंच माननीय चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से पूछा है कि वह किस नियम के तहत नाके बनवा रहा है। जो टैक्स इन नाकों पर लोगों से वसूला जा रहा है, उससे कौन सी सर्विस दी जा रही है।
टोल प्लाजा में हो रही वसूली और दुर्व्यवहार को लेकर रईश अहमद शकील ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका प्रस्तुत की है। इसमें बताया गया है कि एनएचएआई ने राजनांदगांव के ठाकुरटोला में टोल प्लाजा बनाया जा रहा है। इससे 30 किमी पहले अंगोरा में भी एक टोल नाका बना हुआ है। यह भी बताया गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग के फीस का भुगतान नियम की धारा 8 के तहत दो टोल प्लाजा के बीच की दूरी 60 किमी होनी चाहिए। इसके बाद भी एनएचएआई नियम विरुद्ध टोल बना रहा है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि एनएचएआई की ओर से ऐसी कौन सी सर्विस दी जा रही है, जिसके लिए टोल वसूला जा रहा है। मामले को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने एनएचएआई से पूछा है कि वे किस नियम से टोल प्लाजा बनवा रहे हैं। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि टोल लगाकर जो टैक्स लिया जा रहा है, उससे वे कौन सी सर्विस दे रहे हैं। इसके लिए कोर्ट की ओर से नोटिस भेजा गया है, लेकिन मामले की सुनवाई की तारीख तय नहीं की गई है।