राजनीतिक

टीएमसी में बंगाल में भाजपा देने जा रही जोर का झटका ,25 विधायक और दो सांसद ममता के साथ !

Spread the love

कोलकाता

एक लोकोक्ति है, 'सुबह का भूला शाम को घर आ जाए, तो उसे भूला नहीं कहते'। आजकल यह पश्चिम बंगाल की राजनीति में देखने को मिल रहा है। पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद दल-बदल की राजनीति ने बंगाल की राजनीतिक सरगर्मी को तेज कर दी है।

भाजपा में करीब चार साल बिताने के बाद मुकुल रॉय के तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में वापस आने के बाद दल-बदल की राजनीतिक तेज हो गई है। मुकुल रॉय ने पत्रकारों से कहा कि वह कई लोगों (भाजपा विधायक) के साथ बातचीत कर रहे हैं। दरअसल, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा में बड़ी टूट की खबरें सामने आ रही हैं। सोमवार को बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी गर्वनर जगदीप धनखड़ से मिलने पहुंचे तो उनके साथ 77 में से सिर्फ 51 विधायक ही राजभवन पहुंचे। इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य भाजपा में बगावत के संकेत देना शुरू कर दिया है।

मुकुल रॉय की वापसी के बाद से ही कहा जा रहा है कि बड़ी संख्या में भाजपा से लोग तृणमूल आएंगे। मुकुल लगातार भाजपा नेताओं और आयोजकों के संपर्क में हैं। साथ ही उन लोगों से भी संपर्क साध रहे हैं, जिन्हें वे चार साल भाजपा में रहते हुए तृणमूल से लाए थे।
 
सूत्रों ने बताया कि रॉय खुद मानते हैं कि वे भाजपा नेताओं से फोन पर बात कर रहे हैं। 2017 में तृणमूल से भाजपा में जाने वाले मुकुल रॉय अपने बेटे शुभ्रांग्शु के साथ तृणमूल में वापस लौट आए हैं। ममता ने उनकी वापसी पर कहा था कि मुकुल को पार्टी में बड़ा रोल दिया जाएगा।
 
अब भाजपा को जवाब देने का वक्त: शुभ्रांग्शु
बेटे शुभ्रांग्शु ने मुकुल के प्लान को और विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा के कम से कम 20 से 25 विधायक और दो सांसद तृणमूल में आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि जो भाजपा ने विधानसभा चुनाव के बाद किया, अब उसका जवाब देने का वक्त आ गया है।
 
शुभ्रांग्शु ने मुकुल के भाजपा के दौर का जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'मेरे पिता तब दबाव में थे। इस दबाव का असर उनकी सेहत पर देखा जा सकता था। उन्होंने विधानसभा चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लिया, जबकि वे पहले ऐसा करते रहे थे। उन्होंने एक दिन मुझसे पूछा कि क्या तुम बीजापुर विधानसभा सीट से जीतोगे। उस दिन वो बेहद अपसेट थे।'
 
भाजपा की भी नजर अपने नेताओं पर
मुकुल के तृणमूल में जाने के बाद से ही भाजपा की नजर अपने नेताओं और विधायकों पर है। भाजपा की कोशिश है कि वो अपने नेताओं को पार्टी में ही रखे इसलिए ऐसे नेताओं पर नजर रखी जा रही है, जो पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बना रहे हैं। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की मौजूदगी में राजभवन में 25 विधायकों की गैरमौजूदगी को भी भाजपा ने गंभीरता से लिया है। एक भाजपा नेता ने कहा कि कुछ विधायक स्वास्थ्य कारणों से नहीं आए। कुछ पहले से ही व्यस्त थे। लेकिन, कुछ ने पहले से कोई जानकारी नहीं दी थी।

 

Tags
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button
Close