जंगलों में धड़ल्ले से चल रही है अवैध कटाई, वन विभाग मौन
गौरझामर
वन परिक्षेत्र के अंतर्गत हरे-भरे जंगल की चारों ओर पेड़ों की अवैध कटाई का खेल जोरों पर चल रहा है। वन विभाग द्वारा की जा रही लापरवाही से वह दिन अब दूर नहीं होगी की बगैर पेड़ पौधों के जंगल अपने अस्तित्व की तलाश करेगी। प्रतिदिन हरे भरे पेड़ों की बलि चढ़ाई जा रही है। जिसे रोकने की बजाय वन विभाग चुप्पी साधे हुए बैठी है। वन परिक्षेत्र जैतपुर, चरगवा, खैराना शालावारा, सेंधवारा सिमरीया और अन्य बीट में अवैध सागौन की कटाई की जा रही है। वन विभाग द्वारा गत रात्रि मुखबिर की सूचना के आधार पर पीरा घाट में जंगल से अवैध सागौन की तस्करी की जा रही थी।
वन विभाग को देखकर सागौन की सिल्ली फेंक कर तस्कर मौके से फरार हो गया। वन विभाग सिर्फ मुखबिरी सूचना तंत्र के माध्यम से छापामार कार्रवाई कर स्वयं की कितनी भी पीठ थपथपा ले विभागीय अधिकारी लेकिन कड़वा सच कुछ और ही है। जंगल से कटाई करने के पश्चात घरों तक लकड़ी तस्कर की जाती है। इस दौरान विभागीय अधिकारी कर्मचारी कुंभकर्णीय निंद्रा में रहते हैं। मुख्य मार्ग जंगल से लगे सागौन, जैसी बेशकीमती पेड़ो की खुलेआम अवैध कटाई रूकने का नाम नहीं ले रही है।
कटाई के चलते क्षेत्र में अवैध फर्नीचर की दुकान एवं फर्नीचर मार्ट का जमकर संचालन हो रहा है। ऐसा नहीं कि वन विभाग के आला अधिकारियों को अवैध रूप से संचालित हो रहे इन दुकानों के संबंध में जानकारी ना हो। लेकिन अवैध फर्नीचर संचालकों पर कार्यवाही न करना वन विभाग की मौन स्वीकृति की ओर इशारा कर रहा है। आसपास के क्षेत्र में इन दिनों आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर अवैध फर्नीचर का निर्माण हो रहा है। यह फर्नीचर का निर्माण कर औने पौने दामों में बेचा जा रहा है। जंगलों की अवैध कटाई और फर्नीचर की दुकानों की भरमार हो जाने के कारण जांच की मांग उठने लगी है। लेकिन वन विभाग द्वारा फर्नीचर मार्ट की जांच नहीं करना सांठ-गांठ की ओर इशारा करता है।