चीन के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था पहली तिमाही में दोगुने से अधिक रफ्तार से बढ़ी
नई दिल्ली
भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोरोना की दूसरी लहर से उबर कर उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) रिकॉर्ड 20.1 फीसदी की दर से बढ़ी। यह तमाम रिसर्च एजेंसियों के लगाए गए अनुमान से बेहतर है। गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर के बाद पिछले साल समान तिमाही में जीडीपी की विकास दर -23.9 फीसदी रही थी।
चीन की वृद्धि दर 2021 की अप्रैल-जून तिमाही में 7.9 प्रतिशत रही है। यानी चीन के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था पहली तिमाही में दोगुने से अधिक रफ्तार से बढ़ी है। इससे उम्मीद जगी है कि एक बार फिर से भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का तमागा हासिल कर लेगा। वहीं, चीन में मंगलवार को जारी एक सर्वेक्षण के मुताबिक निर्यात मांग कमजोर पड़ने से अगस्त में विनिर्माण गतिविधियां सुस्त पड़ीं। चीन के सांख्यिकी ब्यूरो और एक आधिकारिक उद्योग समूह द्वारा तैयार किया गया मासिक क्रय प्रबंधक सूचकांक जुलाई में 50.4 से घटकर अगस्त में 50.1 हो गया। अधिकारियों ने चेतावनी दी कि चीन के निर्यात की मांग साल की दूसरी छमाही में कमजोर होने की आशंका है। इसके अलावा जुलाई में आई बाढ़ और कोरोना वायरस पर काबू पाने के उपायों के चलते भी विनिर्माण और उपभोक्ता गतिविधियां कम हुई हैं। यानी आने वाले समय में चीनी अर्थव्यवस्था और सुस्त हो सकती है।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि जीडीपी की यह वृद्धि पिछले साल आई गहरी मंदी से बाहर निकलने का संकेत है। कोविड-19 की दूसरी खतरनाक लहर के बावजूद विनिर्माण में तेजी ने इस वृद्धि की राह को आसान बनाया है। साथ ही इस साल अप्रैल-मई में आई दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था उतनी बुरी तरह प्रभावित नहीं हुई, क्योंकि राज्य सरकारों ने कम कठोर लॉकडाउन लगाया। मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 1.3 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ी थी। गौरतलब है कि भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। पिछले साल राष्ट्रीय लॉकडाउन की वजह से पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
तेज उछाल की वजह बेस इफेक्ट
जीडीपी में तेज उछाल की वजह साफ तौर पर बेस इफेक्ट रही। ऐसे में जानकारों का कहना है कि बेहतर तस्वीर के लिए हमें जीडीपी को तिमाही आधार पर देखना होगा। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान टोटल जीडीपी 30.1 लाख करोड़ रुपये का रहा। अगर सेक्टर के हिसाब से देखें, तो सबसे ज्यादा 68.3% का उछाल कंस्ट्रक्शन सेक्टर में आया। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की सालाना ग्रोथ 49.6% रही, जबकि माइनिंग सेक्टर का ग्रोथ रेट 18.6% रहा। जून तिमाही में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ 31.7% रही, जबकि ग्रॉस वैल्यू ऐडेड यानी जीवीए सालाना आधार पर 18.8% बढ़ा।
बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 9.4 प्रतिशत बढ़ा
बुनियादी क्षेत्र के आठ उद्योगों का उत्पादन जुलाई में 9.4 प्रतिशत बढ़ा है। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। एक साल पहले इसी महीने में बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 7.6 प्रतिशत घटा था। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार जुलाई में कोयला, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली क्षेत्र का उत्पादन एक साल पहले के इसी महीने की तुलना में बढ़ा है। हालांकि, इस दौरान कच्चे तेल के उत्पादन में 3.2 प्रतिशत की गिरावट आई। जुलाई, 2020 में कोविड-19 की वजह से लागू अंकुशों के चलते बुनियादी उद्योगों के उत्पादन में 7.6 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
आर्थिक तरक्की पर लौटा भारत: दास
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकवरी हो रही , लेकिन दुनिया पर अभी भी कोविड का संकट बना हुआ है। अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए हर जरूरी कदम उठा रहे है। उन्होंने कहा कि आरबीआई अप्रत्याशित, एकमुश्त नकदी प्रवाह का प्रबंधन करने के लिए परिचालन व्यवस्था को और दुरूस्त करेगा। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे कोविड का खतरा कम होगा, हम बेहतरी के लिए कदम उठाते रहेंगे।