घरेलू उपभोक्ताओं से राजस्व कम मिलता है इसलिए सरकार की विद्युत वितरण कम्पनियां घाटे में
भोपाल
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा है कि घरेलू उपभोक्ताओं को दी जाने वाली बिजली की खपत हाईटेंशन लाइन कंज्यूमर और उद्योगों को दी जाने वाली बिजली से अधिक होती है। इसके विपरीत घरेलू उपभोक्ताओं से राजस्व कम मिलता है। इसलिए सरकार की विद्युत वितरण कम्पनियां घाटे में चल रही हैं। उन्होंने उपभोक्ताओं से बकाया राजस्व की वसूली नहीं हो पाने को भी घाटे की वजह बताया है। साथ ही कहा है कि कम्पनियों द्वारा लिए गए कर्ज के भुगतान के चलते ये कम्पनियां घाटे से नहीं उबर पा रही हैं।
मंत्री तोमर ने विधायक सज्जन वर्मा के सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी है। इसमें वर्मा ने विद्युत वितरण कम्पनियों के घाटे और पिछले सालों में की गई विद्युत दरों में वृद्धि को लेकर सवाल किया था। मंत्री ने बताया कि विद्युत वितरण कम्पनियों के घाटे में चलने की जो मुख्य वजह हैं, उनमें तकनीकी व वाणिज्यिक हानि में अत्यधिक वृद्धि होना प्रमुख है। इसके अलावा विद्युत क्रय की लागत अधिक होना और कुल खर्च के मुताबिक आमदनी नहीं होना, विद्युत कम्पनियों के ऋणों के अधिक होने के कारण इनके पुनर्भुगतान और ब्याज पर अधिक राशि खर्च होना भी इसका कारण है। उपभोक्ता मिश्रण में सुधार नहीं होने से उद्योगों व हाईटेंशन लाइन उपभोक्ताओं की तुलना में लो टेंशन लाइन उपभोक्ता की बिजली खपत अधिक होती है।
इन्हें विद्युत प्रदाय करने की लागत अधिक आती है और बदले में राजस्व कम मिलता है। विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं से बकाया राशि की वसूली नहीं हो पाना भी घाटे की वजह है। इसके साथ ही भारतीय रेल जैसे बढ़े उपभोक्ता और अन्य उच्च दाब उपभोक्ता द्वारा ओपन एक्सेस के माध्यम से बिजली की खरीदी करना भी विद्युत वितरण कम्पनियों के घाटे की वजह बताई गई है।
विधायक सज्जन सिंह वर्मा के सवाल के लिखित जवाब में मंत्री तोमर ने कहा कि मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनियां वर्ष 2005-06 से 2019-20 की अवधि तक निरंतर घाटे में चल रही है। चालू वित्त वर्ष के लेखे अभी आ नहीं सके हैं। इसके अलावा पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी भी 2005-06 से 2019-20 के बीच सिर्फ 2016-17 और 2019-20 में लाभ की स्थिति में रही है। बाकी सालों में यह कम्पनी भी घाटे में रही है।