क्वारेंटाईन के 14 दिन काट लिए बिना नशे के तो आगे भी रह सकते हैं इनके बगैर
महासमुंद
क्वारंटीन प्रवासी मजदूरों को नशे की गलत चीजों से निकाल कर उनमें उन्मूलन संचार के उद्देश्य के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एसपी वारे के निर्देशन में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम जिले में विशेष अभियान चला रहा है। इस दौरान आस-पास की छोटी-बड़ी दुकानों एवं बाजार व सब्जी मंडियों में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से चोरी छिपे मिलने वाली गुड़ाखू, डिबियों में बिकती है, उनमें जानलेवा होने का सचित्र चेतावनी संदेश छपा होता है। किंतु, यदा-कदा यह नहीं लिखा होता की गुड़ाखू बनती कैसे है और उसमें क्या-क्या सामग्री यानी तंबाकू सड़ाने के लिए प्रयुक्त होने वाले हानिकारक रसायन मिलाए जाते हैं। इस पर जनता के नाम अपील में दर्ज होता है कि गुड़ाखू वास्तव में तंबाकू मिश्रित एक ऐसा दंत मंजन है, जो मुंह और श्वांस नली के विभिन्न भागों में असाध्य और जानलेवा कैंसर का कारण बनता है। इसे घिसने से दांत एवं मसूड़े खराब होने के साथ-साथ हाजमा खराब होना, भूख न लगना, एलर्जी और अल्सर आदि रोग भी बड़ी तेजी से पनपते हैं।
1 जून से शुरू हुए अभियान में 22 जून तक जिला चिकित्सालय के सामाजिक कार्यकर्ता असीम श्रीवास्तव द्वारा जिले के 40 क्वारंटीन केंद्रों में आश्रय प्राप्त कोविड-19 के संक्रमण संदिग्ध मरीजों में एक हजार से अधिक दंपत्तियों, पालकों और बच्चों के लिए कोरोना वायरस संक्रमण बचाव सहित तंबाकू एवं अन्य नशा उन्मुखीकरण जागरूकता प्रयास किए जा चुके हैं। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ अनिरुद्ध कसार के मुताबिक ऐसे तंबाकू उत्पाद जिनके सेवन से मुंह में लार बनती हो, चबा कर सार्वजनिक स्थल पर थूकने से कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।
होम क्वारंटीन में बैठे-बैठे भी छोड़ सकते हैं नशे की लत
सुबह-शाम नींबू के छिलके में सादा नमक लगा कर दांतों और मसूड़ों में हल्की मसाज करें, तलब लगने पर गुड़ाखू की जगह असली दंत मंजन, पावडर या दातून से मुंह की सफाई करें, गुनगुना पानी पिएं, सादा भोजन लें, खट्टी चीजें जैसे नीबू, नमकीन या मिर्च इत्यादि जरूर खाएं नशा छोड?े का प्रण लें, प्रतिदिन का ब्योरा लिख कर दोहराएं एवं ताजी हवा में योग-प्राणायाम, हल्का व्यायाम आदि से स्वयं को व्यस्त रखने की कोशिश करें।