कोविड-19 की वैक्सीन अगले साल तक मिल सकती है: मशहूर वायरोलॉजिस्ट इयान लिपकिन
नई दिल्ली
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचाकर रख दिया है। इस जानलेवा बीमारी ने विश्व में 3 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। दुनिया के तमाम देश इस बीमारी की दवा और वैक्सीन खोजने में दिन-रात एक किए हुए हैं। कुछ देशों को शुरुआती सफलता मिली तो कुछ उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि, अभी तक इस बीमारी का कोई वैक्सीन नहीं मिल पाया है। विशेषज्ञ वैक्सीन मिलने तक इस वायरस के साथ जीने की बात कह चुके हैं। इस बीच, वायरस हंटर के नाम से मशहूर अमेरिकी वायरोलॉजिस्ट इयान लिपकिन ने कहा है कि अगले साल तक इस वायरस का वैक्सीन मिल सकता है।
'अगले साल तक मिल सकती है वैक्सीन'
लिपकिन ने कहा कि किसी भी प्रकार का वैक्सीन बनने में वक्त लगता है। उसकी एक प्रक्रिया होती है। उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि 2021 के अप्रैल तक कोरोना की वैक्सीन आ सकती है।' बता दें कि इजरायल, अमेरिका, ब्रिटेन और भारत समेत दुनिया के तमाम दिग्गज देशों के वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन ढूंढने में लगे हुए हैं। हालांकि वायरस हंटर ने साथ ही कहा कि वैक्सीन आने के बाद भी लोग इसका इस्तेमाल करने लगेंगे यह कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि तोड़ी उहापोह की स्थिति बनी रहेगी।
वैक्सीन मिलने तक हेल्थ प्रोटोकॉल का हो पालन-लिपकिन
एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में लिपकिन ने कहा कि तबतक इस बीमारी से बचने के लिए हेल्थ प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह वायरस सदा के लिए नहीं रहने वाला है लेकिन हमें कुछ सावधानियां बरतनी होगी।
ऑफिस जाने के सवाल पर लिपकिन ने कहा कि अगर आप प्राइवेट रूम में काम कर रहे हैं तो कोई दिक्कत नहीं है। दरअसल, लोग इसलिए भी ऑफिस जाना चाहते हैं ताकि वह अपने सहकर्मियों से बात कर सकें। लेकिन इसके लिए हेल्थ प्रोटोकॉल को मानना होगा। कॉन्फ्रेंस रूम में लोगों के बीच 2 मीटर की दूरी होनी चाहिए। मास्क पहनिए। यह वायरस सब दिन के लिए नहीं रहने वाला है। हम इससे जीत जाएंगे। लिपकिन ने विमानों में यात्रा के सवाल पर कहा कि यह संक्रमण के लिहाज से ठीक नहीं है।
लॉकडाउन में भी नियमों को मानना होगा
भारत में लॉकडाउन के सवाल और सोशल डिस्टेंसिंग पर लिपकिन ने कहा कि यह अच्छा अइडिया है लेकिन आपको नियमों को मानना होगा। जब खाना-पीना खा रहे हैं तो उस वक्त मास्क तो नहीं पहन सकते लेकिन जब आप ऐसा नहीं कर रहे हों तो मास्क और गलव्स पहनिए। उन्होंने साथ ही कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग की जगह फिजिकल डिस्टेंसिंग शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए।