कोरोना से डीजल की मांग 12 फीसदी कम हुई
नई दिल्ली
कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियों का ईंधन की मांग पर नकारात्मक असर पड़ा है। वर्ष 2020-21 में पिछले साल के मुकाबले पेट्रोल डीजल की मांग कम हुई है। हालांकि, लॉकडाउन खत्म होने के बाद आर्थिक गतिविधियां शुरु होने पर पिछले छह माह के दौरान पेट्रोल-डीजल की मांग वर्ष 2019-20 के मुकाबले ज्यादा रही है। पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल खपत में सबसे ज्यादा कमी डीजल में आई है। डीजल की मांग करीब 12 फीसदी कम हुई। हालांकि, मार्च में डीजल की मांग पिछले साल मार्च के मुकाबले करीब 28 प्रतिशत ज्यादा थी। पिछले साल सरकार ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और उसके बाद लॉकडाउन का ऐलान किया था।
पेट्रोल की खपत में भी पिछले साल लगभग सात फीसदी की कमी आई हैं। वहीं, एलपीजी की मांग में बहुत मामूली वृद्धि दर्ज की गई। सरकार ने कोरोना महामारी से निपटने में लोगों की मदद करने के लिए उज्ज्वला योजना का लाभार्थियों को मुफ्त गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने का फैसला किया था। इसकी वजह से रसोई गैस की मांग पिछले साल के बराबर रही।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को रोकने के लिए बढ़ती पाबंदियों की वजह से ईंधन की मांग में फिर कमी आनी शुरू हो गई है। अप्रैल के पहले पखवाड़े में डीजल और पेट्रोल की मांग कम हुई है। सीएनजी की मांग पर असर पड़ा है पर एलपीजी की मांग अभी बरकरार है। अनुमान के मुताबिक पेट्रोल की मांग पांच फीसदी और डीजल की खपत तीन प्रतिशत कम हुई है।
करीब दो दशक में ऐसा पहली बार हुआ है, जब देश में ईंधन की खपत कम हुई है। पीपीएसी के पास 1998-99 के बाद के पेट्रोलियम डीजल की खपत के तमाम आंकड़े मौजूद हैं। कोरोना संक्रमण की दस्तक से पहले पेट्रोलियम पदार्थो की मांग में करीब 9 फीसदी की वृद्धि का रुझान था पर कोरोना वायरस की वजह से गतिविधियां थम गई और मांग कम हो गई।