कोरोना: आर्थिक स्थिती सही करने में जुटी राज्य सरकारए साढ़े तीन करोड़ खाते डिफॉल्टर के करीब
भोपाल
प्रदेश में कोरोना ने आम आदमी की जिंदगी के साथ बैंकिंग सेक्टर को भी तगड़ा झटका दिया है। हालात यह हैं कि आर्थिक सुधार के प्रयास के बावजूद साढ़े तीन करोड़ लोन अकाउंट कोरोना के चलते ईएमआई और बकाया न चुका पाने के कारण डिफाल्टर होने की कगार पर हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली छह माही में बने इन हालातों पर नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा दिए गए आर्थिक पैकेज कितने सफल हुए हैं, इसका खुलासा बैंकों की दिसम्बर तक की तिमाही रिपोर्ट में होगा लेकिन अभी तक यह रिपोर्ट आना बाकी है।
कोरोना महामारी से उबरने में कृषि और ग्रामीण विकास ने भले ही सरकार को राहत देने के काम किया है लेकिन किसान इससे परेशानी में आए हैं। उनकी आर्थिक स्थिति इस कदर बिगड़ी है कि प्रदेश में 84.72 लाख किसान बैंकों का 110774 करोड़ रुपए नहीं चुका सके हैं। इसके साथ ही सरकार जिन कमजोर वर्गों के लिए योजनाओं के जरिये रोजगार के अवसर जुटाने का काम करती है, उन पर 68809 करोड़ रुपए बकाया है। प्रदेश में इस सेक्टर के करीब एक करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। यह हालात चालू वित्त वर्ष की प्रथम छमाही में कोरोना के कारण बने हालातों में बने हैं जिनसे उबारने में सरकार की मदद भी नाकाफी साबित हो रही है।
कोरोना के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भले ही सुधार की गुंजाइश दिखने लगी है लेकिन बैंकों की सितम्बर माह तक की रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि प्रदेश में 582922 करोड़ रुपए आउट स्टैंडिंग में आ गए हैं। अब इन खातों में सुधार की गुंजाइश देख बैंकर्स आउट स्टैंडिंग में कमी होने की उम्मीद लगाए हुए हैं। इसका साइड इफेक्ट साढ़े तीन करोड़ बैंक खातों पर पड़ा है जिन्होंने बैंकों से लोन लिया था और पेमेंट नहीं कर पाए थे। मार्च 2020 से शुरू हुए कोरोना के कारण के कारण ठप पड़ी अर्थव्यवस्था के आंकड़े बताते हैं कि इससे न सिर्फ लोगों को खाने-दाने के लिए मोहताज होना पड़ा बल्कि बैंकिंग सेक्टर को भी भारी नुकसान पहुंचा है।
कोरोना काल में लाकडाउन के कारण ठप हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद के बीच आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत राज्य सरकार ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के कांसेप्ट पर काम शुरू किया है। इसके लिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप पर शिवराज सरकार काम कर रही है। अब तक किसानों को राहत देने के साथ सरकार ने स्ट्रीट वेंडर योजना के जरिये ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोगों को रोजगार के लिए दस हजार रुपए का ऋण देने का काम किया है। इससे वीकर सेक्शन को राहत मिली है लेकिन अभी वह बैंकों के बकाया चुका पाने की स्थिति में नहीं आया है।
पीएम किसान सम्मान निधि की तर्ज पर मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि के द्वारा भी किसानों को राहत देने, फसल नुकसान क्षतिपूर्ति देने का काम किया गया है। इसके साथ ही हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए दिसम्बर तक स्टांप ड्यूटी में राहत देने का काम किया गया।
स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 के पहले छमाही में इसका इतना अधिक असर रहा कि नान प्रियारिटी सेक्टर, वीकर सेक्टर, प्रियारिटी सेक्टर, एमएसएमई और एग्रीकल्चर सेक्टर में आउट स्टैंडिंग 582922 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था। इसका असर 3 करोड़50 लाख 32 हजार खातों पर पड़ा था। सितम्बर से केंद्र और राज्य सरकारों ने सभी सेक्टरों में धीरे-धीरे राहत देकर लोगों को कामकाज की छूट दी जिसके बाद अब दिसम्बर की तिमाही में सुधार की गुंजाइश है पर अभी इसकी रिपोर्ट बैंकों ने तैयार नहीं की है।