अध्यात्मधर्म ज्योतिष

कान्हा के बड़े भाई बलराम को समर्पित है यह त्योहार, बच्चों की रक्षा के लिए किया जाता है उपवास

Spread the love

भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलछठ या हरछठ का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। बलराम का प्रधान शस्त्र हल है। इसलिए उन्हें हलधर नाम से भी पुकारा जाता है और उन्हीं के नाम पर इस पर्व का नाम हलषष्ठी है। इस दिन पुत्रवती महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं। 

रक्षाबंधन के छह दिन बाद यह त्योहार मनाया जाता है। इस व्रत में हल से जुते हुए अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस व्रत में उन्हीं चीजों का सेवन करने की मान्यता है जो तालाब में पैदा होती हैं। हलधर बलराम, बच्‍चों को दीर्घायु प्रदान करते हैं। इस दिन भुना हुआ चना, घी में भुना हुआ महुआ, अक्षत, लाल चंदन, मिट्टी का दीया, भैंस के दूध से बना दही, घी, महुआ का पत्ता, तिन्नी का चावल तालाब में उगा हुआ, हल्दी, नया वस्त्र, सात प्रकार के अनाज, जनेऊ और कुश इन सारी सामग्रियों को एकत्र कर पूजन किया जाता है। इन सभी सामग्रियों को 6-6 की संख्या में लेकर पूजन किया जाता है। इस दिन गाय के दूध व दही का सेवन नहीं किया जाता है। हलषष्ठी व्रत में भैंस का दूध, दही और घी प्रयोग किया जाता है। इस त्योहार पर विशेष रूप से हल की पूजा की जाती है। हलछठ व्रत के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा घर की साफ सफाई करें और भगवान की पूजा करें। दिनभर बिना कुछ खाए पीए व्रत रहें। गुजरात में इस पर्व को राधन छठ के रूप में मनाया जाता है और संतान की रक्षा करने वाली शीतला माता की पूजा की जाती है। 

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button
Close