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कांग्रेस और एनसीपी से शिवसेना के संबंध में तनाव देखने को मिला

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महाराष्ट्र
भारतीय जनता पार्टी  के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग राह अपना लिया। महाराष्ट्र की राजनीति ने बीते विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद अचानक से नया मोड़ ले लिया था। हाल ही में सरकार ने एक साल का कार्यकाल पूरा किया है। इसके बाद कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी  के साथ मिलकर एक नए गठबंधन, महा विकास अघाड़ी को शक्ल दिया। एक तरफ महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा जा रहा था, उसी समय राजनीतिक विश्लेषक इस गठबंधन को लगातार बेमेल बता रहे थे। इसकी एकमात्र वजह थी शिवसेना की हिंदुत्व और कांग्रेस पार्टी की सेक्यूलर छवि। 

हालांकि तीनों घटक दलों के प्रवक्ताओं और नेताओं के द्वारा लगातार यह दावा किया जाता रहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार अपने पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करेगी। लेकिन ताजा बयानबाजी को पर गौर करें तो उनके दावे कमजोर साबित हो रहे हैं। सरकार ने भले ही एक साल पूरा कर लिया हो, लेकिन ताजा राजनीतिक बयानबाजी ने महाराष्ट्र की सियासत में एक नए कयास को जन्म दे दिया है। बीते कुछ समय से तीनों घटक दलों के बीच मनमुटाव की खबरें बीच-बीच में सामने आ रही है। 

कांग्रेस और एनसीपी से शिवसेना के संबंध में तनाव देखने को मिले हैं। महाराष्ट्र कैबिनेट मंत्री और एनसीपी नेता जितेंद्र अवध ने रविवार को अप्रत्यक्ष रूप से ठाणे जिले के कल्याण में सड़कों की खराब हालत को लेकर शिवसेना को जिम्मेदार ठहराया और निशाना साधा है। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एनसीपी नेता जितेंद्र ने कहा कि कल्याण की सड़कों की हालत पूरे महाराष्ट्र में सबसे खराब है। जब एनसीपी नेता ने अपने भाषण में खराब सड़क का जिक्र किया, तब उस वक्त मंच पर स्थानीय शिवसेना विधायक विश्वनाथ भोईर मौजूद थे। यहां ध्यान देने वाली बात है कि कल्याण डोंबिवली नगर निगम में शिवसेना का शासन है। वहीं, सीटों की संख्या के लिहाज से एनसीपी महा विकास अघाड़ी सरकार में दूसरे नंबर की पार्टी है।

औरंगाबाद शहर का नाम बदलने को लेकर महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी सरकार में शामिल शिवेसना और कांग्रेस के बीच रविवार को तीखी बहस हुई। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने कहा कि यदि किसी को क्रूर एवं धर्मांध मुगल शासक औरंगजेब प्रिय लगता है तो इसे धर्मनिरपेक्षता नहीं कहा जा सकता है। पलटवार करते हुए कांग्रेस ने शिवसेना और विपक्षी भाजपा पर नाम बदलने को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया और उनसे पूछा कि पिछले पांच वर्षों से महाराष्ट्र में सत्ता में रहने के दौरान उन्हें यह मुद्दा याद क्यों नहीं आया?

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने हालांकि कहा कि राज्य में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की एमवीए सरकार स्थिर है। उन्होंने कहा कि सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) के अनुसार काम करती है और ''भावुकता की राजनीति के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। राज्य की पूर्ववर्ती सरकार में सहयोगी रहीं शिवसेना और भाजपा औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज, के नाम पर संभाजीनगर रखने के लिए आधार बना रही हैं।''

इन तमाम राजनीतिक बयानबाजी पर नजर डालें तो शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं दिख रहा है। गठबंधन के नेताओं की बयानबाजी इसके गवाह बन रहे हैं। अगर जल्द ही तीनों घटक दलों के बीच रिश्ते ठीक नहीं हुए तो उद्धव ठाकरे के बतौर मुख्यमंत्री कार्यकाल पूरा करने पर संशय के बादल मंडराने लगेंगे।

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