उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग से बिगड़ रही लोगों की सेहत
गंज बासौदा
नगर सहित आसपास के फल , सब्जी और अनाज उत्पादक किसान जानकारी के अभाव में अंधाधुंध उर्वरक का उपयोग कर खेतों की उपजाऊ क्षमता खत्म करने के साथ ही कीटनाशकों का भी जमकर प्रयोग कर फल सब्जियों को जहरीला बना रहे हैं। नगर तो क्या जिले में भी फल सब्जियों में घातक रसायनों की मात्रा का आंकलन करने की प्रयोगशाला नहीं है। जिससे जानकारी के अभाव में किसान अनाज उत्पादन बढ़ाने के लिये अंधाधुंध उर्वरक डालते हैं , जिसके चलते खेतों की उपजाऊ क्षमता कम हो रही है। ऐसी हालत में मिट्टी की सेहत के साथ ही घातक रसायनों के द्वारा लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ हो रहा है।
नगर में फल सब्जी विक्रताओं की जांच पड़ताल नहीं होती । यदि जांच पड़ताल की जाये तो शहर के बाजारों और हाथ ठेलों पर बिकने वाले फलों एवं सब्जियों में लेड , मर्करी , निकल , क्रोमियम , कै डमियम जैसे हैवी मेटल , प्रतिबंधित पेस्टीसाइड की घातक मौजूदगी का पता चल सकता है और शायद तब लोग इनका प्रयोग करना बदं कर दें। किंतु यह कितने आश्चर्य की बात है कि जिले में कहीं भी ऐसी प्रयोग शाला नहीं हैं ।
नगर सहित आसपास के क्षेत्रों के किसानों को यह तक पता नहीं है कि खेतों में कितनी मात्रा में उर्वरक तथा कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए। जानकारी नहीं के अभाव में एवं अधिक पैदावार के लालच में खेतों की सेहत इतनी बिगाड़ दी है कि विगत वर्षों की अपेक्षा पैदावार में जहां प्राकृतिक आपदाओं की अपेक्षा अधिक कमी आई है। क्योंकि मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो गई है जिससे वह फसल को रोगों से नहीं बचा पाती है जिससे फसलों में कई रोग लग रहे हैं और फिर किसानों द्वारा इन रोगों से बचाव के लिये दवाईयों का प्रयोग किया जाता है।
किसानों द्वारा जिन कीटनाशकों और खरपतवार नाशकों का प्रयोग किया जा रहा है उसका असर मिट्टी , जीव जंतुओं , मवेशियों एवं मानवों सभी पर हो रहा है। क्योंकि किसानों द्वारा फसलों, फल , सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाने के लिये खेतों में जिन कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है उसका सबसे पहला असर तो खेतों की मृदा पर होता है। जिससे उसकी उर्वरक क्षमता कम हो रही है और पैदावार में कमी आ रही है। वहीं उसके बाद फसल से प्राप्त होने वाले अनाज , फल ,सब्जियों और अन्य उत्पादक जिन्हें खाने से बच्चों , जवान एवं बुजुर्गों पर भी इसका सीधा सीधा असर दिखाई दे रहा है समय से पूर्व ही उन्हें कई ऐसी घातक बीमारियां जकड़ लेती हैं जो उन्हें कई माहों तक अपनी गिरफत में ले लेती हैं। वहीं मवेशी साग , सब्जी , फल ,फसलों के अवशेष से प्राप्त भूसा खाते है जिससे उन्हें भी कई प्रकार के रोग हो जाते हैं और इलाज के अभाव में उनकी भी मृत्यु हो जाती है।