उन्नत और प्रमाणित बीज के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनें छत्तीसगढ़ के किसान
रायपुर
छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों को सहजता से उन्नत किस्म के प्रमाणित बीज उपलब्ध हो सके, बीज उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ के किसान आत्मनिर्भर बनें। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की इस मंशा को पूरा करने के उद्देश्य में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे के मार्गदर्शन में कृषि विभाग द्वारा राज्य में इस साल बीज निगम एवं अन्य बीज उत्पादक सहकारी समितियों की मदद से 44 हजार हेक्टेयर में बीज उत्पादन कार्यक्रम एवं फसल प्रदर्शन लिए जाने की कार्य योजना तैयार करने साथ ही उसको मूर्तरूप देने की तैयारी में जुट गया है। राज्य के लगभग 100 गांवों, जिसमें से अधिकांश गांव सुराजी योजना के गौठान वाले गांव है, वहां कृषकों एवं कृषि उत्पादक समूहों के सहयोग से बीज उत्पादन एवं फसल प्रदर्शन कार्यक्रम वृहद पैमाने पर लिए जाएंगे। बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य खरीफ सीजन में 44 हजार हेक्टेयर में बीज उत्पादन कार्यक्रम एवं फसल प्रदर्शन कार्यक्रम लिए जाने का लक्ष्य है।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में हर साल लगभग साढ़े 9 लाख क्विंटल उन्नत किस्म के प्रमाणित बीज की जरूरत पड़ती है। वर्तमान में शासकीय सेक्टर के 45 बीज प्रक्रिया केन्द्र तथा निजी क्षेत्र के लगभग 30 प्रक्रिया केन्द्रों के माध्यम से ग्रेडिंग के पश्चात विभिन्न फसलों के लगभग 7 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज उपलब्ध हो पाते हैं। किसानों की आवश्यकता को देखते हुए लगभग 2.50 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज की आपूर्ति अन्य राज्यों से करनी पड़ती है। बीज उत्पादन कार्यक्रम के रकबे में वृद्धि करके राज्य में उन्नत एवं प्रमाणित बीज की पूर्ति हो सकेगी। उन्नत बीज उत्पादन कार्यक्रम के लिए किसानों को कृषि विभाग द्वारा मार्गदर्शन के साथ-साथ अनुदान दिए जाने का भी प्रावधान है, जिसका लाभ राज्य के किसानों को मिल सकेगा। कृषि विभाग द्वारा धान की विभिन्न प्रजातियों सहित अरहर, मूंग, सोयाबीन, उड़द, तिल, मूंगफली आदि के प्रमाणित बीज का उत्पादन किसानों एवं कृषक बीज उत्पादकता समूह के माध्यम से किए जाने की योजना पर मैदानी स्तर पर चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बीज उत्पादकता एवं फसल प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा जलवायु एवं मिट्टी की अनुकूलता तथा अन्य संसाधनों को ध्यान में रखते हुए फसलवार बीज उत्पादन के लिए कृषकों/समूह का चयन किया जा रहा है।
रायपुर जिले में लगभग 50 हजार क्विंटल प्रमाणित बीज की आवश्यकता होती है। इसको ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग द्वारा 1600 हेक्टेयर में बीज उत्पादन एवं फसल प्रदर्शन लिए जाने का कार्यक्रम है। बीज उत्पादन एवं फसल प्रदर्शन के लिए विभाग द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के रूप में आरंग ब्लाक के छह गौठान ग्रामों को विशेष रूप से चयनित किया गया है, जिसमें ग्राम रींवा, गौरभाट, मोखला, फरफौद, कोसमखुटा और छटेरा शामिल है। इन गांव के 393 कृषकों की 651 हेक्टेयर भूमि पर धान, दलहन, तिलहन सहित अन्य फसलों के बीज उत्पादन व फसल प्रदर्शन लिए जाएंगे। उप संचालक कृषि आर.एल. खरे ने बताया कि गौठान वाले ग्रामों में 49 हेक्टेयर में महामाया, 30 हेक्टेयर में स्वर्णा, 16 हेक्टेयर रकबे में बीपीटी 5204 तथा 416 हेक्टेयर में स्वर्णा सब-1, 13 हेक्टेयर में एमटीयू 1001, 17 हेक्टेयर में देवभाग तथा 5 हेक्टेयर में जिंक राइस इस प्रकार कुल 547 हेक्टेयर में धान बीज उत्पादन कार्यक्रम लिए जाने का कार्यक्रम है। इन्हीं गौठान वाले ग्रामों में 82 हेक्टेयर में अरहर, 10 हेक्टयर में उड़द, 3 हेक्टेयर में सोयाबीन तथा 9 हेक्टेयर में ढेचा बीज उत्पादन कार्यक्रय लिया जाएगा। उप संचालक कृषि ने बताया कि इसके अलावा रायपुर जिले के शेष विकासखण्डों के अन्य ग्रामों में लगभग एक हजार हेक्टेयर में विभिन्न फसलों की प्रजाितयों के बीज उत्पादन एवं फसल प्रदर्शन कार्यक्रम लिए जाएंगे। जिससे आगामी खरीफ सीजन में रायपुर जिले के लिए बीज की आपूर्ति सहजता से हो सकेगी। इसी तर्ज पर बीज उत्पादन एवं फसल प्रदर्शन कार्यक्रम योजना राज्य के सभी जिलों के लिए तैयार की गई है।