भोपालमध्य प्रदेश

उद्योगों को बांध से दिए गए पानी के लंबित भुगतान की वसूली करे: मंत्री सिलावट

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भोपाल

जल संसाधन विभाग कृषि और कृषकों के हित में कार्य करता है। सिंचाई परियोजना का लाभ किसानों को और बेहतर तरीके से किस प्रकार दिया जाये, इसके लिए निरन्तर नवाचार हो। प्रदेश के 89 आदिवासी विकासखण्ड में छोटी सिंचाई परियोजना बनाये और लघु कृषकों के लिए माइक्रो परियोजना बनाने पर कार्य करे। रीवा, सतना, सिंगरौली, सिवनी, जबलपुर, कटनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, शहडोल और उमरिया जिलों की समीक्षा के दौरान जल संसाधन मंत्री  तुलसीराम सिलावट ने उक्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उद्योगों और बिजली उत्पादन कम्पनियों पर पानी के लंबित भुगतान की वसूली सख्ती से की जाये। जल संसाधन विभाग के साथ किये गए अनुबंध के आधार पर ही संबंधित कंपनियों से वसूली हो।

समीक्षा बैठक में राज्य मंत्री  राम किशोर कावरे और अपर मुख्य सचिव  एस.एन मिश्रा, प्रमुख अभियंता  डावर सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। मंत्री  सिलावट ने निर्देश दिए कि बिना तकनीकी स्वीकृति और बिना कार्य प्रारंभ के किसी भी कंपनी और ठेकेदार को भुगतान नहीं किया जाये। जल संसाधन विभाग की परियोजनाओं से नगरीय निकायों को पेयजल के लिए उपलब्ध करवाये गये पानी के लंबित मामलों को अंतर्विभागीय बैठक कर निराकरण करने के निर्देश दिये गये। बैठक में विभाग की निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं की समीक्षा भी की गई। साथ ही निर्देश दिए गये कि कार्य पूर्ण होने के पश्चात संबंधित अधिकारी द्वारा प्रमाण-पत्र जारी किये जाने के बाद ही भुगतान की कार्यवाही की जाये। विभाग मे सब इंजीनियर की कमी को पूरा करने और वर्तमान वित्तीय स्थिति एवं परियोजना के लिए राशि की उपलब्धता के सम्बन्ध में भी बैठक में चर्चा की गई।

बैठक में राज्य मंत्री  कावरे में कहा कि जल संसाधन विभाग की परियोजना के भू-अर्जन के लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए राजस्व विभाग के साथ शिविर लगाकर समय-सीमा में निराकरण करें। इससे सिंचाई परियोजनाएँ जल्द पूर्ण होंगी। किसानों को कृषि के लिए पानी उपलब्ध करवाया जा सकेगा। विभाग की यह प्राथमिकता है कि कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी के साथ खेती को लाभ का धंधा बनाने में भागीरथी प्रयास हो।

अपर मुख्य सचिव  मिश्रा ने कहा कि प्रभारी अधिकारी विभाग के प्रत्येक सिंचाई परियोजना की समीक्षा रिपोर्ट बनाकर प्रस्तुत करेंगे। सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए गये है कि आदिवासी विकासखंडों में छोटी परियोजना बनाने का कार्य शुरू किया जाये।

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